यरुशलम/अम्मान: सीरिया में विद्रोहियों के हाथों बशर अल-असद शासन के पतन के बाद एक और इस्लामिक देश के अंदर खतरा मंडराने लगा है। इजरायल ने चिंता जताई है कि सीरिया में विद्रोहियों को बढ़त जॉर्डन में भी चरमपंथ को बढ़ावा दे सकती है, जिससे किंग अब्दुल्ला के शासन को खतरा हो सकता है।
इन चिंताओं के बीच इजरायली खुफिया एजेंसियों के अधिकारियों ने जॉर्डन का दौरा किया है। इजरायल की कैबिनेट में इस बात को लेकर चर्चा हुई है कि सीरियाई संघर्ष जॉर्डन में फैल सकता है, जिसका सीधा असर इजरायल पर पड़ेगा।
इजरायली सुरक्षा एजेंसी शिन बेट के प्रमुख रोनेन बार और आईडीएफ खुफिया निदेशालय के प्रमुख मेजर-जनरल श्लोमी बिंदर ने हाल ही में जॉर्डन का दौरा किया है। अरब राजनयिकों ने भी इसे लेकर चिंता व्यक्त की है। यरूशलम पोस्ट ने एक अरब राजनयिक के हवाले से कहा है कि मिस्र, जॉर्डन और पड़ोसी देशों के अधिकारी सीरिया पर कड़ी नजर रख रहे हैं।
अरब दुनिया में इस बात को लेकर डर बढ़ रहा है कि सीरिया में विद्रोह की सफलता दूसरे देशों में भी इस्लामिक आंदोलनों को बढ़ावा दे सकता है। राजनयिक ने कहा कि ‘सीरियाई विपक्ष की बयानबाजी अब तक मध्यम रही है, लेकिन भविष्य के बारे में कहना मुश्किल होगा।’
सीरिया में मुख्य विद्रोही समूह हयात तहरीर अल-शाम (HTS) के प्रमुख अबू मोहम्मद अल जुलानी ने शनिवार को सीरियाई टीवी को दिए गए एक बयान में इजरायल की चिंताओं को लेकर बात की। जुलानी ने कहा कि सीरिया में बशर अल-असद के शासन के बाद सीरिया का किसी नए संघर्ष में उतरने का कोई इरादा नहीं है।
जुलानी ने सीरिया में इजरायली हमलों की निंदा की और कहा कि इजरायल के लिए ऐसा करने की कोई जरूरत नहीं है। सीएनएन की रिपोर्ट के अनुसार, सीरिया में असद शासन के पतन के बाद इजरायल ने करीब 500 हवाई हमले किए हैं।