आभा आईडी से स्वास्थ्य रिकॉर्ड लिंकेज में उत्तराखंड का देश में दूसरा स्थान

देहरादून :आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन के तहत आभा आईडी से मरीजों का स्वास्थ्य रिकॉर्ड लिंकेज में उत्तराखंड देश में दूसरे स्थान पर है। जबकि उत्तर प्रदेश को पहला स्थान प्राप्त है। प्रदेश में अब तक 74 लाख से अधिक स्वास्थ्य रिकॉर्ड आभा आईडी से लिंक किया गया। इसके अलावा आभा आईडी, अस्पतालों व चिकित्सकों का पंजीकरण, आभा आधारित ऑनलाइन ओपीडी पंजीकरण की श्रेणियों में उत्तराखंड को पांच चरण पूरे करने में कामयाबी मिली हैं।

राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण के अनुसार आयुष्मान भारत हेल्थ अकाउंट (आभा) नेटवर्क में हेल्थ रिकॉर्ड लिंक होने से मरीज देशभर के किसी भी अस्पताल में डॉक्टर के साथ स्वास्थ्य संबंधी परामर्श ले सकता है। इसके साथ ही रोग की जांच, लैब रिपोर्ट, उपचार व दवाइयां घर बैठे ऑनलाइन माध्यम से प्राप्त कर सकते हैं। प्रदेश में आयुष्मान भारत के तहत देहरादून, हरिद्वार, ऊधमसिंह नगर में दो-दो, नैनीताल जिले में एक माइक्रो साइट से इलेक्ट्रॉनिक हेल्थ रिकॉर्ड बनाया जा रहा है।

आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन में प्रदेश के विभिन्न अस्पतालों में 6,72,796 मरीजों ने अपना ओपीडी पंजीकरण कराया। इस सुविधा से मरीजों को पंजीकरण पर्चा बनाने के लिए लाइन में खड़ा नहीं होना पड़ा। वर्तमान में यह सुविधा एम्स ऋषिकेश, राजकीय मेडिकल कॉलेज देहरादून, श्रीनगर, अल्मोड़ा, जिला चिकित्सालय कोरोनेशन, पंडित हरगोविंद पंत जिला चिकित्सालय अल्मोड़ा व उप जिला चिकित्सालय रूड़की में संचालित है।

डिजिटल हेल्थ सुविधा के लिए डॉक्टर, नर्स व आशा वर्करों का भी डाटाबेस तैयार किया जा रहा है। इन्हें डीजी डॉक्टर के रूप में मिशन में पंजीकृत किया जा रहा है। अब तक प्रदेश में 8317 हेल्थ केयर प्रोफेशनल पंजीकृत किए जा चुके हैं। इसके अलावा अस्पताल, हेल्थ क्लीनिक, जांच सेंटर, प्रयोगशालाओं, इमेजिंग सेंटर, फार्मेसी का भी पंजीकरण कराया जा रहा है। इसमें 7423 हेल्थ फैसिलिटी रजिस्टर्ड हो चुकी है।

राज्य की कम आबादी होने के बावजूद हेल्थ रिकॉर्ड लिंकेज के मामले में उत्तराखंड ने देशभर में दूसरा स्थान प्राप्त किया है। जो लोगों के स्वास्थ्य के प्रति राज्य सरकार की संवदेनशीलता और प्रतिबद्धता को दर्शाता है। सरकार ने प्रदेश में शत-प्रतिशत लोगों की आभा आईडी बनाने का लक्ष्य तय किया है। जिससे लोगों को डिजिटल माध्यम से भी स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ पहुंचाया जा सके।
– डॉ. धन सिंह रावत, स्वास्थ्य मंत्री

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