आतंकवाद को कुचलने की रणनीति तैयार : शाह

जम्मू :सरकार और एलजी प्रशासन के बीच तनातनी और सुरक्षा की चुनौतियों के बीच केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह रविवार को जम्मू कश्मीर के तीन दिवसीय दौरे पर पहुंचे। इस दौरान जम्मू शहर और आसपास का क्षेत्र छावनी में तब्दील रहा।

शाम को भाजपा मुख्यालय में बंद कमरे में शाह ने पार्टी के 28 विधायकों और पदाधिकारियों के साथ बंद कमरे में बैठक की। इसमें जम्मू संभाग में बढ़ रहे आतंकवाद के मुद्दे को प्रमुखता से उठाया गया। विधानसभा क्षेत्रों के मुद्दों और समस्याओं पर भी चर्चा हुई। शाह राजभवन में ठहरे हुए हैं, जहां उपराज्यपाल से उनकी विभिन्न मुद्दों पर चर्चा होगी।

पिछले साल अक्तूबर में केंद्र शासित प्रदेश में मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के नेतृत्व वाली नेशनल कॉन्फ्रेंस सरकार के गठन के बाद शाह का यह केंद्र शासित प्रदेश का पहला दौरा है। कठुआ जिले में चल रहे बड़े पैमाने पर आतंकवाद विरोधी अभियान के मद्देनजर भी यह यात्रा बेहद अहम है।

शाह शाम करीब 6.50 बजे जयपुर से सीधे जम्मू पहुंचे। हवाई अड्डे पर उपराज्यपाल मनोज सिन्हा, केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह और जम्मू-कश्मीर इकाई के अध्यक्ष सत शर्मा और पार्टी के जम्मू-कश्मीर प्रभारी राष्ट्रीय महासचिव तरुण चुग सहित अन्य भाजपा नेताओं ने उनका स्वागत किया। जम्मू-कश्मीर के पूर्व भाजपा प्रमुख रविंदर रैना और पूर्व उपमुख्यमंत्री कविंदर गुप्ता और निर्मल सिंह भी मौजूद थे।

शाह ने पार्टी विधायकों को भरोसा दिलाया है कि जम्मू संभाग में बढ़ रहे आतंकवाद को कुचलने के लिए प्रभावी रणनीति तैयार कर ली गई है। इसे जमीनी स्तर पर प्रभावी ढंग से लागू किया जा रहा है। आतंकवाद को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। हमारी सुरक्षा एजेंसियां पहले ही मजबूती के साथ आतंकवाद के साथ लड़ रही हैं।

प्रदेश सरकार में मौजूदा जेकेएएस अधिकारियों के तबादलों को लेकर उपराज्यपाल प्रशासन के साथ तनातनी बनी हुई है। सरकार इसे अपना अधिकार क्षेत्र मानती है। हाल ही में उपराज्यपाल के आदेश पर 48 जेकेएएस अफसरों के तबादले किए गए थे। इसके बाद नेकां ने आपात बैठक बुलाकर अन्य मुद्दों के साथ इस मुद्दे पर भी चर्चा की थी। इस मुद्दे पर केंद्रीय गृह मंत्री कोई दिशा निर्देश दे सकते हैं, क्योंकि जम्मू-कश्मीर के यूटी होने के नाते सुरक्षा से जुड़े मुद्दे गृह मंत्रालय के अधीन हैं।

हाल ही में कठुआ जिले में आतंकियों के साथ मुठभेड़ में जम्मू-कश्मीर पुलिस ने अपने चार जवान खोए हैं। इस घटना में सुरक्षा में चूक का मामला भी उठता रहा है। कहीं न कहीं सुरक्षा एजेंसियों के बीच तालमेल की कमी पर सवाल उठे हैं। केंद्रीय गृह मंत्री प्रमुख तौर पर सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर नई रणनीति पर चर्चा कर सकते हैं।

सोमवार को शाह कठुआ में बीएसएफ की सीमा चौकी विनय का दौरा करेंगे और वहां जमीनी हालात का आकलन करेंगे। 23 मार्च से कठुआ जिले के जंगलों में बड़े पैमाने पर तलाशी अभियान चल रहा है, यहां पुलिस और अन्य सुरक्षा बलों ने हीरानगर सेक्टर में अंतरराष्ट्रीय सीमा पार से घुसपैठ कर आए पांच आतंकवादियों के एक समूह को रोका था। 27 मार्च को जिले में दो दिनों तक चली भीषण गोलीबारी में चार पुलिसकर्मी बलिदान हो गए और दो आतंकवादी मारे गए थे।

सूत्रों का यह भी कहना है कि बैठक में कटड़ा से श्रीनगर तक शुरू होने वाली रेल सेवा पर भी चर्चा होगी। इस रेल सेवा के लिए कड़े सुरक्षा बंदोबस्त करने के लिए कहा जाएगा। क्योंकि, आतंकी संगठन इसे नुकसान पहुंचाने की फिराक में हैं। इसके अलावा आगामी श्री अमरनाथ यात्रा को लेकर भी चर्चा होगी। क्योंकि इस बार काफी लोग रेल से भी यात्रा पर जाएंगे। ऐसे में दोनों को लेकर सुरक्षा चुनौती है। इससे निपटने के लिए बड़े स्तर पर सुरक्षाबलों की तैनाती की जाएगी। अमरनाथ यात्रा की सुरक्षा पुख्ता करने के लिए अहम फैसले लिए जा सकते हैं।

बता दें कि सांबा, कठुआ और जम्मू के इंटरनेशनल बॉर्डर पर सुरक्षा दीवार बनाई जानी है। दीवार खड़ी करने के लिए स्थानीय लोगों की जमीन ली जानी है। लेकिन मुआवजे की वजह से अभी तक ये दीवार बनाने की प्रक्रिया शुरू नहीं हो पा रही। यह मामला भी सुलझाया जा सकता है। शाह बीएसएफ और प्रशासन के अधिकारियों के साथ इस मसले पर अहम फैसला ले सकते हैं।शाह सोमवार को जम्मू में राजभवन में जम्मू-कश्मीर पुलिस के बलिदान हुए जवानों के परिवार के सदस्यों से भी मिलेंगे। वे अनुकंपा के आधार पर चयनित कुछ लोगों को नियुक्ति पत्र भी सौंपेंगे।

शाह दोपहर में श्रीनगर के लिए रवाना होंगे। इस दौरान पहली यूनिफाइड कमांड की बैठक में सभी सुरक्षा एजेंसियों के अधिकारी मौजूद रहेंगे। इस बैठक में केंद्रीय गृह सचिव गोविंद मोहन और उपराज्यपाल मनोज सिन्हा मौजूद रहेंगे। एक अन्य बैठक में श्री अमरनाथ यात्रा की सुरक्षा को लेकर चर्चा होगी। अगले दिन 8 अप्रैल की दोपहर शाह जम्मू-कश्मीर में चलने वाली विकास की योजनाओं की समीक्षा करेंगे। बैठक में मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला शामिल हो सकते हैं।

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