यूक्रेन :जेलेंस्की जिद आखिरकार यूक्रेन को ले डूबी. डोनाड ट्रंप ने यूक्रेन को अर्थिक मदद सस्पेंड कर चोट पहुंचाई थी कि अब अमेरिका ने यूक्रेन को मिलने वाली इंटेलिजेंस सपोर्ट पर भी रोक लगा दी है. इससे यूक्रेन पूरी तरह ‘अंधा’ हो गया है. अब उसके पास ऐसी कोई ताकत नहीं बची कि वह रूस की ओर से आनी वाली मिसाइलों को तुरंत ट्रैक कर पाए और उसका जवाब दे पाए. साफ है कि इससे यूक्रेन के पास हथियार डालने के सिवा कोई और चारा नहीं है.
अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए के निदेशक जॉन रैटक्लिफ ने कहा कि हमने सैन्य और खुफिया दोनों मोर्चों पर यूक्रेन को दी जा रही इंटेलिजेंस सपोर्ट पूरी तरह रोक दी है. जब उनसे पूछा गया कि क्या अमेरिका खुफिया जानकारी भी शेयर नहीं करेगा, इस पर उन्होंने कहा-बिल्कुल नहीं. फिलहाल इस पर रोक लगी हुई है. व्हाइट हाउस के नेशनल सिक्योरिटी एडवाइज माइक वाल्ट्ज ने कहा कि प्रशासन इस पर रोक लगा रहा है. हम पूरे मामले की समीक्षा कर रहे हैं.
खुफिया इनपुट शेयरिंग रोकने से यूक्रेन की मुश्किलें बढ़नी तय है. वह नहीं जान पाएगा कि रूस कहां से हमला करने वाला है. किस ओर से उसकी मिसाइलें आने वाली हैं. क्योंकि अभी तक यूक्रेन का पूरा सिस्टम अमेरिका संभालता था. उससे एक-एक इनपुट देता था. इससे यूक्रेन की सेना तोप और मिसाइलें लगाकर करारा पलटवार करती थी. इसी के जरिये यूक्रेन की सेना तय करती थी कि अगला टारगेट कहां है. रूस की सेनाएं किन किन इलाकों में हैं. रूसी सैनिक क्या क्या कर रहे हैं.
इंटेलिजेंस इनपुट नहीं मिलने से यूक्रेन की सेना के पास कोई सटीक जानकारी नहीं होगी. उसे अंधेरे में तीर चलाना होगा. ऐसे में रूस के पास रणनीतिक बढ़त होगी. वह मनमाने तरीके से यूक्रेन पर आक्रमण करेगा और उसके सैनिक इलाकों पर कब्जा करते जाएंगे. इससे जंग में यूक्रेन की स्थिति लगातार कमजोर होती जाएगी. पश्चिम के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, अगर अमेरिका अपना फैसला तुरंत वापस नहीं लेता है तो यूक्रेनियों के लिए सचमुच काफी कठिन हो जाएगा. उनके लिए युद्ध तो लगभग खत्म हो जाएगा.