महाशिवरात्रि : मंत्रों एवं यंत्रों की सिद्धि के लिए वरदान के समान: आचार्य दैवज्ञ

देहरादून। भोलेनाथ के भक्तों को महाशिवरात्रि का बेसब्री से इंतजार रहता है.महाशिवरात्रि की रात जागरण का आध्यात्मिक और वैज्ञानिक महत्व दोनों है, और इस वर्ष सौरमंडल में ग्रहों की ऐसी स्थिति बनी हुई है, कि इस दिन मन्त्रों एवं यंत्रों की सिद्धि के लिए वरदान के समान है।

उत्तराखंड ज्योतिष रत्न आचार्य डॉक्टर चंडी प्रसाद घिल्डियाल के अनुसार इस साल महाशिवरात्रि का पावन त्योहार 26 फरवरी 2025 बुधवार को मनाया जाएगा मुहूर्त का विश्लेषण करते हुए ज्योतिष शास्त्र के विशेषज्ञ आचार्य चंडी प्रसाद बताते हैं कि फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी तिथि शुरू 26 फरवरी 2025, सुबह 11.08 प्रारंभ होगी जो रात भर भी रहेगी और दूसरे दिन 27 फरवरी 2025 को सुबह 8.54 पर समाप्त होगी महाशिवरात्रि हमेशा उदय व्यापिनी ना लेकर रात्रि व्यापिनी ग्रहण की जाती है।

*आचार्य दैवज्ञ बताते हैं, कि उस दिन पूजा का क्रम निशिता काल पूजा समय देर रात 12:09 – प्रात: 12:59, फरवरी 27
शिवरात्रि पारण समय प्रात: 06:48 – प्रात: 08:54 (27 फरवरी 2025)
रात्रि प्रथम प्रहर पूजा समय शाम 06:19 – रात 09:26
रात्रि द्वितीय प्रहर पूजा समय रात 09:26 – प्रात: 12:34, 27 फरवरी
रात्रि तृतीया प्रहर पूजा समय प्रात: 12:34 – प्रात: 03:41, 27 फरवरी
रात्रि चतुर्थी प्रहर पूजा समय प्रात: 03:41 – प्रात: 06:48 तक रहेगा।*

महाशिवरात्रि की रात का धार्मिक महत्व।

महाशिवरात्रि के दिन भोलेनाथ वैराग्य जीवन छोड़कर मां पार्वती के साथ विवाह के बंधन में बंधे थे. इस दिन माता पार्वती और भोलेनाथ रात में भ्रमण पर निकलते हैं. ऐसे में जो लोग रात्रि जागरण कर महादेव की आराधना करते हैं उनके समस्त दुख दूर होते हैं और जीवन में खुशियों का आगमन होता है.

महाशिवरात्रि की रात का वैज्ञानिक महत्व

“ज्योतिष वैज्ञानिक आचार्य चंडी प्रसाद दैवज्ञ के अनुसार महाशिवरात्रि की रात में ब्रह्माण्ड में ग्रह और नक्षत्रों की ऐसी स्थिति होती है, जिससे एक खास ऊर्जा का प्रवाह होता है. इस रात ग्रह का उत्तरी गोलार्द्ध इस प्रकार अवस्थित होता है, कि मनुष्य के भीतर की ऊर्जा प्राकृतिक रूप से ऊपर की ओर जाने लगती है, यानी प्रकृति स्वयं मनुष्य को उसके आध्यात्मिक शिखर तक जाने में मदद कर रही होती है. इसलिए महाशिवरात्रि की रात में जागरण करने व रीढ़ की हड्डी सीधी करके ध्यान मुद्रा में साधना करने से अनेकों लाभ प्राप्त होते हैं।”

अंतरराष्ट्रीय जगत में प्रसिद्ध आचार्य श्री ने बताया कि इस वर्ष इस दिन पड़ रही अद्भुत अमृत बेला में विशेष रूप से संतान प्राप्ति ,विवाह ,नौकरी प्राप्ति, प्रमोशन ,व्यापार लाभ, राजनीतिक लाभ तथा शत्रु बाधा,नजर और कल्पना से जो लोग परेशान हैं, उनके लिए मन्त्रों की ध्वनि को यंत्रों में परिवर्तित कर विशेष रूप से संतान बाधा निवारण यंत्र, पति अथवा पत्नी बाधा निवारण, शत्रुबाधा निवारण सहित सभी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए सर्व मनोरथ सिद्धि यंत्र तथा आयु रक्षा और रोग निवारण के लिए मृत्युंजय शिव यंत्रों की सिद्धि की जाएगी।

 

आचार्य का परिचय

नाम-आचार्य डॉक्टर चंडी प्रसाद घिल्डियाल “दैवज्ञ”
*पब्लिक सर्विस कमीशन उत्तराखंड से चयनित प्रवक्ता वर्तमान में सहायक निदेशक शिक्षा विभाग उत्तराखंड सरकार ।
निवास स्थान- 56 / 1 धर्मपुर देहरादून, उत्तराखंड।*
मोबाइल नंबर-9411153845

उपलब्धियां

वर्ष 2015 में शिक्षा विभाग में “प्रथम गवर्नर अवार्ड” से सम्मानित।
वर्ष 2016 में लगातार सटीक भविष्यवाणियां करने पर उत्तराखंड के तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत ने उत्तराखंड ज्योतिष रत्न सम्मान से सम्मानित किया वर्ष 2017 में त्रिवेंद्र सरकार ने दिया ज्योतिष विभूषण सम्मान। वर्ष 2013 में केदारनाथ आपदा की सबसे पहले भविष्यवाणी की थी। इसलिए 2015 से 2018 तक लगातार एक्सीलेंस अवार्ड प्राप्त हुआ शिक्षा एवं ज्योतिष क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्यों के लिए 5 सितंबर 2020 को प्रथम वर्चुअल टीचर्स राष्ट्रीय अवार्ड प्राप्त किया। *मंत्रों की ध्वनि को यंत्रों में परिवर्तित कर लोगों की समस्त समस्याओं का हल करने की वजह से वर्ष 2019 में अमर उजाला की ओर से आयोजित ज्योतिष महासम्मेलन में ग्राफिक एरा में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने दिया *ज्योतिष वैज्ञानिक सम्मान।
दिसंबर 2022 में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने फिर से दिया उत्तराखंड ज्योतिष रत्न सम्मान।
दिसंबर 2023 में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राष्ट्रीय ज्योतिष सम्मेलन में दिया ज्योतिष सूर्य सम्मान।
फरवरी 2024 में राज्यसभा सांसद नरेश बंसल से मिला सुशासन के सूत्रधार अधिकारी का सम्मान। दिसंबर 2024 में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राष्ट्रीय ज्योतिषसम्मेलन में दिया ब्रह्म कमल सम्मान।

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