वॉशिंगटन. डोनाल्ड ट्रंप चार साल के गैप के बाद एक बार फिर से अमेरिका के राष्ट्रपति का पद संभाल लिया है. चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने कुछ देशों पर अतिरिक्त टैरिफ लगाने का वादा किया था. अब उस वादे पर अमल करने की प्रक्रिया के तहत पहला कदम उठा लिया गया है. ट्रंप सरकार मेक्सिको, कनाडा और चीन के सामान पर 25 फीसद का टैरिफ लगाने का ऐलान किया है.
कनाडा से आयात फ्यूल पर 10 फीसद तक का टैरिफ लगाने की घोषणा की गई है. ट्रंप के इस कदम से अमेरिका का 10 खरब डॉलर से ज्यादा की राशि दांव पर है. इकोनॉमिक एक्सपर्ट्स ने इसको लेकर ट्रंप सरकार को चेतावनी भी दी है. विशेषज्ञों की राय में ट्रंप सरकार का यह कदम आत्मघाती साबित हो रहा है. दूसरी तरफ, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का मानना है कि इससे एक तरफ जहां अवैध इमिग्रेशन पर रोक लगेगी वहीं ट्रेड डेफिसिट को कम करने में मदद मिलेगी. इसके साथ ही इलीगल ड्रग्स पर भी नकेल कसी जा सकेगी.
टैरिफ वॉर प्रेसिडेंट ट्रंपी की ओर से चला गया बड़ा दांव है. व्हाइट हाउस में अपने चार से अधिक साल के कार्यकाल के दौरान ट्रंप की ओर से लागू की गई यह बड़ी आर्थिक नीति है. इससे अमेरिकी लोगों को महंगाई की मार झेलनी पड़ सकती है. बता दें कि इस बार के राष्ट्रपति चुनाव में महंगाई बड़ा मुद्दा था. ट्रंप के इस कदम का उलटा असर हा सकता है. लोग पहले से ही महंगाई से परेशान हैं और शेयर बाजार भी अस्थिरता के दौर से गुजर रहा है.
रोजगार की तस्वीर भी संतोषजनक नहीं है, ऐसे में बेरोजगारी की समस्या और बढ़ने का खतरा पैदा हो गया है. पीटरसन इंस्टीट्यूट फॉर इंटरनेशनल इकोनॉमिक्स की सीनियर फेलो मैरी लवली का कहना है कि यह अब तक का सबसे बड़ा आत्मघाती कदम हो सकता है. यह एक बहुत बड़ा दांव है. यह अर्थव्यवस्था की रफ्तार को कम करने और महंगाई बढ़ाने वाला कदम साबित हो सकता है.
‘वॉल स्ट्रीट जॉर्नल’ में पब्लिश एक लेख में राष्ट्रपति ट्रंप की ओर से टैरिफ लगाने की स्ट्रैटजी को ‘इतिहास का सबसे मूर्खतापूर्ण ट्रेड वॉर’ करार दिया गया है. लेख में इस बात की आशंका जाहिर की गई है कि कनाडा और मेक्सिको के खिलाफ टैरिफ लगाने की स्ट्रैटजी डिजास्टर न बन जाए. दूसरी तरफ, ट्रम्प टैरिफ को लगभग एक मैजिकल टूल मानते हैं, जिसकी मदद से दोस्तों और सहयोगी देशों पर बढ़त बनाई जा सके.
उन्होंने तर्क दिया है कि व्यापार घाटे, अवैध इमिग्रेशन और इलीगल ड्रग्स के फ्लो सहित प्रमुख चिंताओं को दूर करने के लिए टैरिफ आवश्यक हैं. ट्रम्प और उनके समर्थक अक्सर यह कहते सुने जाते हैं कि पहले कार्यकाल में लिए गए फैसले से महंगाई पर असर नहीं पड़ा था. हालांकि, उस वक्त के हालात अलग थे और अभी तस्वीर कुछ और है.
ट्रंप ने शनिवार को 1.4 ट्रिलियन डॉलर के इंपोर्टेड गुड्स पर टैरिफ लगाने का प्रस्ताव रखा है. टैक्स फाउंडेशन के अनुमान के मुताबिक, यह ट्रम्प के पहले कार्यकाल के दौरान टैरिफ से प्रभावित 380 अरब डॉलर मूल्य के विदेशी सामानों के तीन गुना से भी अधिक है.
ट्रम्प के पहले कार्यकाल के दौरान महंगाई उतना बड़ा मसला नहीं था, जितना कि अभी है. मौजूदा समय में किराने के सामान से लेकर वाहन तक पर महंगाई की मार पड़ रही है. टैरिफ लगाने से सामान के और महंगा होने की संभावना है. ऐसे में पहले से ही महंगाई का सामना कर रहे अमेरिकी लोगों पर और आर्थिक बोझ बढ़ने की आशंका है.