प्रयागराज:महाकुंभ का अंतिम अमृत स्नान आज शुरू हो चुका है। आज के दिन ब्रह्म मुहूर्त में पंचमी तिथि रहेगी, इसीलिए अंतिम अमृत स्नान को बसंत पंचमी का अमृत स्नान भी कहा जा रहा है। आज के दिन नागा साधुओं के अखाड़े सबसे पहले स्नान करेंगे। इसके बाद नागा साधुओं के दल महाकुंभ से अपने अखाड़ों की ओर वापस लौट जाएंगे। नागा साधुओं के साथ ही करोडों की संख्या में आज भक्त भी प्रयागराज के त्रिवेणी संगम में डुबकी लगाएंगे।प्रयागराज में जहां महाकुंभ का स्नान किया जा रहा है। वहीं इस दौरान उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में महाकाल की भस्म आरती की गई। देखें वीडियो।
प्रयागराज में महाकुंभ का अमृत स्नान जारी है। इस दौरान हरिद्वार में भी पावन गंगा तट पर मां गंगा की आरती की गई। साथ ही श्रद्धालुओं ने हरिद्वार में भी पवित्र डुबकी लगाई।महाकुंभ के डीआईजी वैभव कृष्ण ने कहा, “व्यवस्थाएं बहुत अच्छी हैं और आज भीड़ नियंत्रण के हमारे उपाय भी अच्छे हैं। सभी अखाड़ों का स्नान सफलतापूर्वक संपन्न हो गया है। महानिर्वाणी अखाड़ा, निरंजनी अखाड़ा और जूना अखाड़ा ने सफलतापूर्वक अपना स्नान कर लिया है और अन्य अखाड़े भी सफलतापूर्वक स्नान में हिस्सा लेंगे।”
बसंत पंचमी के आखिरी अमृत स्नान के मद्देनजर करोड़ों की संख्या में श्रद्धालुओं ने पवित्र स्नान किया। बता दें कि 13 जनवरी से शुरू हुआ महाकुंभ 2025 26 फरवरी तक चलेगा।महाकुंभ के आखिरी अमृत स्नान को लेकर नागा साधु ने कहा, “आज की व्यवस्था पिछले दो अमृत स्नानों से बेहतर थी… आज का स्नान हम साधुओं के लिए सबसे बड़ा स्नान था।”
महाकुंभ के संगम तट पर एक विदेशी महिला ने हनुमान चालीसा का पाठ किया है। बसंत पंचमी के अवसर पर अमृत स्नान के लिए त्रिवेणी संगम की ओर जाते हुए विदेशी भक्त ‘हनुमान चालीसा’ गाते हुए आप भी सुनें।माना जाता है कि आज के दिन मां सरस्वती की पूजा करने से मां प्रसन्न होती है और ज्ञान व बुद्धि का आशीर्वाद देती है।पवित्र स्नान के बाद किन्नर अखाड़े की आचार्य लक्ष्मीनारायण त्रिपाठी ने कहा, “मां भगवती सभी को खुश रखें और भारत निरंतर प्रगति करता रहे…”
आध्यात्मिक नेता स्वामी कैलाशानंद गिरि ने कहा, “सभी 13 अखाड़ों ने त्रिवेणी संगम में पवित्र डुबकी लगाई…हमने गंगा मां, भगवान शिव की पूजा-अर्चना की…सभी नागा बहुत उत्साहित हैं…यह हमारा तीसरा ‘अमृत स्नान’ था…मैं यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ को बधाई देता हूं क्योंकि उन्होंने 13 अखाड़ों के लिए बहुत अच्छी व्यवस्था की…जो लोग ‘सनातन धर्म’ का पालन नहीं करते हैं उन्हें इस ‘शाही स्नान’ से सबक लेना चाहिए और देखना चाहिए कि आज भी सनातन साधुओं के साथ है और साधु सनातन के साथ हैं।”