दमिश्क: सीरियाई इस्लामी विद्रोह समूह हयात तहरीर अल-शाम (HTS) के नेता ने पहली बार इजरायल के बारे में बात की। इसी ग्रुप ने सीरिया में बशर अल-असद शासन को हटाने में प्रमुख भूमिका निभाई।
सीरियाई टीवी चैनल को दिए एक इंटरव्यू में अहमद अल-शराआ जिन्हें ग्रुप में अबू मोहम्मद अल-जुलानी के नाम से जाना जाता है ने कहा कि इजरायल के पास अब सीरिया पर हवाई हमला करने का कोई बहाना नहीं बचा है। उन्होंने कहा कि सीरिया की जमीन पर हमला कर इजरायल ने रेड लाइन पार कर दी है और क्षेत्र में अनावश्यक तनाव को जन्म दे सकता है।
इससे पहले सप्ताह में इजरायल ने सीरियाई सेना की रासायनिक हथियार साइटों, मिसाइलों, एयर डिफेंस, एयर फोर्स और नेवी को खत्म करने के लिए अभियान चलाया था। ऐसा इसलिए ताकि यह हथियार जिहादियों के हाथों में जाने से बच सकें।
इसके अलावा इजरायल ने ऐसे कदम उठाए, जिसकी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निंदा हुई। दरअसल विद्रोहियों की ओर से दमिश्क पर कब्जा करने के कुछ ही घंटे बाद इजरायल ने गोलान हाइट्स पर यूएन के गश्त वाले बफर जोन में भी प्रवेश किया।
इजरायल ने कहा कि वह सीरिया में संघर्ष में शामिल नहीं होगा और 1974 में स्थापित बफर जोन पर कब्जा एक रक्षात्मक कदम है और तब तक अस्थायी है जब तक कि उससे सीमा सुरक्षा की गारंटी नहीं मिल जाती।
विद्रोही नेता ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील की है कि वह स्थिति को बिगड़ने से रोके और सीरिया की संप्रभुता का सम्मान करे। उन्होंने कूटनीतिक समाधान को एकमात्र तरीका बताया, जिससे सुरक्षा और स्थिरता लाई जा सकती है।
इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने एक वीडियो संदेश में सीरिया पर हमलों को लेकर सफाई दी। नेतन्याहू ने कहा कि इजरायली सेना ने असद शासन के छोड़े गए सैन्य ठिकानों पर हमला किया ताकि वह आतंकी गुटों के हाथ न लगें।
उन्होंने कहा कि इजरायल नए शासन के साथ संबंध बनाने को तैयार है। लेकिन कोई खतरा हुआ या ईरान ने सीरिया में फिर से पैर जमाने की कोशिश की तो इजरायल जवाबी कार्रवाई करेगा। असद का शासन ईरान के करीब था।
अहमद अल-शराआ ने नेतन्याहू की चिंताओं को लेकर कहा कि सीरिया लंबे गृहयुद्ध से थका हुआ है और फिलहाल किसी ऐसे संघर्ष में नहीं उलझेगा, जिससे और भी ज्यादा विनाश हो। उन्होंने कहा कि सीरिया का प्रमुख लक्ष्य पुनर्निर्माण और स्थिरता है।
उन्होंने ईरान की सीरिया में मौजूदगी को क्षेत्र के लिए खतरा बताया और कहा कि विद्रोहियों ने ईरानी प्रभाव को समाप्त कर दिया है, लेकिन वे ईरानी जनता के दुश्मन नहीं हैं।