मथुरा :मथुरा के वृंदावन में एक हिंदूवादी संगठन के स्तर से आयोजित ‘हिंदू राष्ट्र अधिवेशन’ में मथुरा और काशी (वाराणसी) में मंदिर-मस्जिद से जुड़े वादों की सुनवाई त्वरित सुनवायी अदालत में करने की मांग की गई। ‘हिंदू जनजागृति समिति’ ने शनिवार को आयोजित इस अधिवेशन में देशभर में हलाल प्रमाण पत्र जारी किए जाने पर पूरी तरह पाबंदी लगाए जाने और बांग्लादेश में हिंदुओं पर कथित रूप से हो रहे अत्याचारों एवं उत्पीड़न की कार्रवाई के मामले में ठोस कार्रवाई की मांगें भी की हैं। इस अधिवेशन का आयोजन बालाजी धाम मंदिर परिसर में किया गया, जिसमें अनेक हिंदू संगठनों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
हिंदू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक डॉक्टर चारुदत्त पिंगले ने कहा, भारत की अखंडता और सांस्कृतिक पहचान को सुरक्षित रखने के लिए हिंदू राष्ट्र की स्थापना अनिवार्य है। उन्होंने अमेरिकी शोध संस्था ‘प्यू रिसर्च सेंटर’ की रिपोर्ट का हवाला देते हुए चेताया कि साल 2050 तक भारत में मुस्लिम आबादी विश्व में सबसे अधिक होगी। उन्होंने साथ ही, मणिपुर और मिजोरम को अलग ईसाई राष्ट्र बनाने के प्रयासों और वक्फ कानून के माध्यम से लैंड जिहाद के कथित खतरे पर विशेष ध्यान देने का आग्रह किया।
कथावाचक अनुराग कृष्ण पाठक ने कहा, मथुरा और काशी के मंदिर विवादों की सुनवाई त्वरित सुनवायी अदालत में की जानी चाहिए। हिंदू जनजागृति समिति ने काशी और मथुरा के मंदिरों के लिए त्वरित सुनवायी अदालत के गठन की मांग को लेकर एक ऑनलाइन हस्ताक्षर अभियान की शुरूआत की।
पावन चिंतन धारा आश्रम के पवन सिन्हा ने हलाल प्रमाणपत्रों को विनियमित करने संबंधी उत्तर प्रदेश सरकार के निर्णय का स्वागत करते हुए देशभर में अवैध हलाल प्रमाणपत्र जारी किये जाने पर प्रतिबंध लगाने की जरूरत पर जोर दिया।
आचार्य महामंडलेश्वर प्रणवानंद सरस्वती ने बांग्लादेश में हिन्दुओं पर हो रहे आक्रमण पर चिंता व्यक्त करते हुए भारत सरकार से अपील की कि वह बांग्लादेश सरकार पर दबाव बनाकर वहां के हिंदुओं के मानवाधिकारों की रक्षा सुनिश्चित करें।
कथावाचक पाठक ने बताया कि अधिवेशन में उत्तर प्रदेश, पंजाब, राजस्थान, मध्य प्रदेश, हरियाणा, उत्तराखंड और जम्मू से 54 हिंदुत्वादी संगठनों के 120 से अधिक प्रतिनिधियों, संतों, अधिवक्ताओं, विचारकों, मंदिर न्यासियों, संपादकों, उद्यमियों और आरटीआई कार्यकर्ताओं ने भाग लिया।