नई दिल्ली: चीनी हैकरों से जुड़े एक प्रमुख साइबर-जासूसी अभियान ने टी-मोबाइल सहित कई अमेरिकी दूरसंचार कंपनियों को निशाना बनाया है। एफबीआई, साइबर सुरक्षा और सुरक्षा एजेंसी (सीआईएसए) ने एक संयुक्त बयान जारी कर इसका खुलासा किया है। चीनी सरकार से संबद्ध माने जाने वाले हैकरों ने कई दूरसंचार प्रदाताओं (Telecommunication providers) के नेटवर्क से समझौता किया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि उनका लक्ष्य विशेष रूप से अमेरिकी सरकार या राजनीतिक गतिविधियों में शामिल व्यक्तियों से संवेदनशील जानकारी प्राप्त करना था।
हालांकि एफबीआई ने अभी इसमें प्रभावित व्यक्तियों की पहचान का खुलासा नहीं किया, लेकिन यह पुष्टि की कि उनमें से अधिकतर लोग संभवतः राजनीतिक या सरकारी कार्यों से जुड़े थे।डब्ल्यूएसजे की रिपोर्ट के अनुसार, हैकरों ने ग्राहक कॉल रिकॉर्ड तक पहुंच बनाई और संभावित रूप से निजी संचार को बाधित किया, हालांकि अभी तक इस बात का कोई सबूत नहीं मिला है कि इस जानकारी से ग्राहक डेटा पर कोई महत्वपूर्ण असर पड़ा है।
सभी कंपनियों में से एक, टी-मोबाइल ने अपने यूजर्स को भरोसा दिलाया कि वह स्थिति पर बारीकी से नजर रख रही है और इससे ऐसा प्रतीत होता है कि किसी भी व्यक्तिगत जानकारी से समझौता नहीं किया गया है।एफबीआई ने यह भी बताया कि हैकरों ने अमेरिकी कानून प्रवर्तन निगरानी से संबंधित डेटा पर फोकस किया है, जिससे पता चलता है कि वे विदेशी खुफिया निगरानी अधिनियम (एफआईएसए) के तहत अधिकृत संवेदनशील कार्यक्रमों से समझौता करने का प्रयास कर रहे थे।
यह साइबर हमला चीनी में हुई हैकर की घटना के बाद हुआ है। इस साल की शुरुआत में,अमेरिकी अधिकारियों ने बड़े पैमाने पर हैकिंग ऑपरेशन का पर्दाफाश किया था, जिसका कोडनेम “फ्लैक्स टाइफून” था, जिसमें घरेलू राउटर और सुरक्षा कैमरों सहित 200,000 से अधिक उपभोक्ता उपकरणों पर सॉफ्टवेयर इंस्टॉल किया गया था, जिससे एक विशाल बॉटनेट बनाया गया था।
इसके अलावा, चीनी हैकरों ने पहले राष्ट्रपति पद के उम्मीदवारों और रैंकिंग अधिकारियों सहित राजनीतिक हस्तियों के पर्सनल उपकरण पर फोकस किया है, जिससे चीनी साइबर-जासूसी प्रयासों के दायरे के बारे में और चिंताएं बढ़ गई हैं। जबकि चीनी सरकार ने लगातार ऐसी गतिविधियों में शामिल होने से इनकार किया है। अमेरिकी अधिकारियों ने इन हमलों को तकनीकी, राजनीतिक और खुफिया डेटा चुराने के उद्देश्य से कई अभियानों से जोड़ा है।