लाखों श्रद्धालुओं ने उदीयमान सूर्य को दिया अर्घ्य

पटना: लोक आस्था का महापर्व छठ आज संपन्न हो गया। चार दिवसीय महापर्व के अंतिम दिन श्रद्धालुओं ने उदीयमान सूर्य को अर्घ्य दिया। इसके साथ ही व्रतियों का 36 घंटे का निर्जला उपवास समाप्त हुआ। इधर, पटना, मुजफ्फरपुर, भागलपुर, गया, पूर्णिया, बेगूसराय, खगड़िया समेत सभी 38 जिलों के छठ घाटों पर अहले सुबह चार बजे से ही श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। जिला प्रशासन और स्थानीय लोगों की ओर से पटना की सड़कों को धो दिया गया था। हर गली-सड़कों पर बिहार कोकिला स्व. शारदा सिन्हा के छठ गीत बज रहे।

इधर, पटना समेत पूरे बिहार में छठ घाट पर श्रद्धालुओं का तांता लग गया। छठी मैय्या के जयकारे से छठ घाट गूंजते रहे। कई लोगों ने घरों की छत और तालाबों में छठ पूजा मनाई। छठ घाट पर जिला प्रशासन की ओर से सारी तैयारी पहले ही पूरी कर ली गई है।

राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद की बेटी रोहिणी आचार्य ने सिंगापुर में छठ पूजा की। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा कि लोक संस्कृति के समस्त आयामों व प्राकृतिक विविधा समाहित पावन कार्तिक मास के महापर्व छठ के चौथे अनुष्ठान प्रातःकालीन अर्घ्य अर्पण की संपूर्णता के साथ आप सबों के सकल मनोरथ की कामना हेतु मेरी शुभेच्छाएं।

मुजफ्फरपुर के अमर शहीद खुदीराम बोस सेंट्रल जेल में भी महिला बंदियों ने छठ महापर्व किया। व्रतियों ने उदीयमान सूर्य को अर्घ्य दिया। केंद्रीय जेल प्रशासन की ओर से इसके लिए सारे प्रबंध किए गए थे।

चार दिवसीय त्योहार में सूर्य और छठी मैया की पूजा की जाती है। इस दिन व्रत करना बहुत कठिन माना जाता है क्योंकि इस व्रत को कठोर नियमों के अनुसार 36 घंटे तक रखा जाता है। शुक्रवार को उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ इस महापर्व का समापन कर दिया।

मुजफ्फरपुर के विभिन्न छठ घाटों पर उदयगामी सूर्य को अर्घ्य देने की साथ ही लोक आस्था के महापर्व छठ का समापन हो गया। विभिन्न छठ घाटों पर छठव्रती महिला तथा पुरुषों ने उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया। शहर के सीढ़ी घाट, आश्रम घाट, लकड़ीढही घाट, अखाड़ा घाट, सहित कई प्रमुख घाट पर उमड़ी श्रद्धालु की भीड़ उमड़ पड़ी।

लोकआस्था के महापर्व छठ के अंतिम दिन शहर में उत्सव जैसा माहौल रहा। पूर्णिया के पंचमुखी मंदिर छठ पोखर, ततमा टोला छठ पोखर, गुलाबबाग, शिवमंदिर छठ घाट सहित कई जगह परंपरागत ढंग से श्रद्धालुओं ने डूबते सूर्य को अर्घ्य देकर विधिवत पूजन किया। तीन घंटे तक चला धार्मिक आयोजन स्थानीय लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र रहा। सैकड़ों की संख्या में लोग नहर के किनारे खड़े-खड़े पूजा पाठ का विधान देखते रहे।

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