उदय दिनमान डेस्कः छठ पूजा का भी लोगों को बेसब्री से इंतजार रहता है. छठ पूजा की बात करें तो ये मुख्य रूप से बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश में मनाया जाता है, लेकिन अब देश के कई अन्य राज्यों के साथ ही विदेशों में रहने वाले हिूंद लोग भी इसे धूमधाम से मनाने लगे हैं. आस्था का प्रतीक छठ को महापर्व कहा जाता है. छठ पूजा में छठी मैया और सूर्य देवता की पूजा श्रद्धा भाव से की जाती है.
दीपावली के छह दिन बाद छठ पर्व मनाते हैं. छठ पूजा चार दिनों तक चलता है, जिसमें शुरुआत होती है नहाय-खाय और खरना से. फिर डूबते और उगते सूर्यदेव को अर्घ्य दिया जाता है. इसमें व्रती नदी में कमर तक जल में प्रवेश कर सूर्यदेवता को अर्घ्य देकर उनकी पूजा करते हैं. इसमें 36 घंटों तक निर्जला व्रत रखा जाता है, जो बेहद ही कठिन माना जाता है.
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, छठी मइया की पूजा करने से व्रती को आरोग्यता, सुख-समृद्धि, संतान सुख का आशीर्वाद प्राप्त होता है. महापर्व छठ में किस दिन शाम का अर्घ्य और कब दिया जाएगा सूर्यदेवता को सुबह का अर्घ्य जानिए यहां.
छठ का पर्व कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तारीख से लेकर सप्तमी तिथि तक सेलिब्रेट किया जाता है. इसकी शुरुआत नहाय-खाय से की जाती है. दूसरे दिन खरना होता है. तीसरे दिन शाम में डूबते सूर्य को व्रती नदी में खड़े होकर सूर्य देव को अर्घ्य देते हैं.
चौथे दिन सुबह उगते सूर्य को फिर अर्घ्य दिया जाता है. डूबते सूर्य को कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को अर्घ्य दिया जाता है. वहीं, उगते सूर्य देवता को सप्तमी तिथि को व्रती अर्घ्य देते हैं. इसी के साथ छठ पर्व का पारण किया जाता है. आपको बता दें कि जो लोग छठ पूजा का व्रत रखते हैं, वे खरना के बाद से ही 36 घंटे का निर्जला व्रत रखते हैं.
ज्योतिर्विद एवं वास्तु विशेषज्ञ राकेश चतुर्वेदी बताते हैं कि सात नवंबर को रात बारह बजकर 41 मिनट पर कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि की शुरुआत होगी. आठ नवंबर को रात 12 बजकर 34 मिनट पर समापन होगा. इस तरह से शाम के समय का अर्घ्य 7 नवंबर को और सुबह का अर्घ्य 8 नवंबर को दिया जाएगा.
नहाय खाय कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि यानी 5 नवंबर को है, जबकि खरना कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि यानी 6 नवंबर को खरना पड़ रहा है. दिन भर निर्जला व्रत करने के बाद शाम में व्रती छठी मैया की पूजा करते हैं. प्रसाद ग्रहण करते हैं. इसी के बाद से लगभग 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू हो जाता है.