गंगा तट के पास झोपड़ियों में मांस के साथ नशे का जखीरा

हरिद्वार: धर्मनगरी में मांस और मदिरा पूर्णतय: प्रतिबंधित है, बावजूद इसके गंगा तट के दूसरे छोर पर खाली जमीनों में अवैध तरीके से झुग्गी झोपड़ी डालकर रह रहे कई परिवार मांस पकाकर खा रहे हैं। इसका समय-समय पर वीडियो वायरल भी होता रहा है। मामले को गंभीरता से लेते हुए स्थानीय युवाओं ने सोमवार को जब इसकी शिकायत श्रीगंगा सभा से की तो तीर्थपुरोहित व सभा के पदाधिकारी उज्ज्वल पंडित के साथ सैकड़ों युवा झुग्गियों में पहुंचे। मौके पर कई झोपड़ियों में कच्चा पक्का मांस मिला। वहीं, कई परिवार मांस पकाकर खाते मिले।

युवाओं ने इस पर कड़ी नाराजगी जताई और झुग्गियों को तोड़ना शुरू कर दिया। बवाल बढ़ता देख मौके पर पुलिस टीम भी पहुंची। करीब तीन घंटे तक चले इस हंगामे के बाद नगर निगम ने बुल्डोजर लगाकर झुग्गियों को ध्वस्त किया। वहीं, पुलिस टीम मूक दर्शक बनकर खड़ी रही है। मौके से कई झुग्गियों से गांजा की खेप भी मिली। कई झोपड़ियाें में भारी मात्रा में शराब भी बरामद किया।

सोमवार को उज्ज्वल पंडित के नेतृत्व में सैकड़ाें युवा रोड़ीबेलवाला क्षेत्र के मैदान में पहुंचे। यहां पर झुग्गियों में रह रहे परिवारों की संख्या देख सभी हतप्रभ रह गए। कोई भी परिवार अपना वास्तविक पता और परिचय नहीं बताया। मौके पर मांस के अलावा नशे का कारोबार मिला। यहीं नहीं कई झुग्गियों में हिरण की विभिन्न प्रजातियों की सींग व अन्य जीवों के कुछ अवशेष भी मिले।

गंगा के किनारे खाली जमीनों पर बसने वाले परिवार कहां से आए हैं, उनका कारोबार क्या है, इन सवालों से स्थानीय पुलिस और प्रशासन पूरी तरह अनभिज्ञ है। इस अनदेखी के चलते हर रोज बढ़ते खानाबदोश परिवारों के कुनबे को लेकर पिछले कुछ दिनों से स्थानीय लोग आक्रोशित थे। इसकी शिकायत भी कई बार प्रशासनिक अधिकारियों से की गई, लेकिन इस पर कोई ध्यान नहीं दे रहा था।

इसी बीच सोमवार को जैसे-जैसे मुद्दा गरमाता गया और युवा ने झोेपड़ियों को उजाड़ना शुरू किए तो प्रशासनिक तंत्र भी सक्रिय हो गया। पहले पुलिस मौके पर पहुंची। उनके सामने ही युवाओं ने गांजा की खेप और शराब का जखीरा दिखाया। कुछ ही देर में नगर निगम की जेसीबी और टीम के सदस्य भी सफाई निरीक्षक श्रीकांत के नेतृत्व में मौके पर पहुंच गए। देखते ही देखते झुग्गियों को तोड़कर साफ कर दिया गया।

सोमवार को बवाल के बीच रेहड़ी ठेली और झुग्गियों को तोड़ा गया। इनमें निवास कर रहे परिवार अपने-अपने कुनबे के साथ फिर से खाली जगह देखकर अपना ठिकाना बनाने लगे। इन परिवारों का न तो कई पता है और न ही स्थायी ठिकाने की कोई जानकारी है।

हालत यह है कि यह परिवार कहां से आए हैं और कहां के निवासी हैं, इसकी किसी को कोई जानकारी नहीं है। इन्हीं परिवारों के बच्चे भीख भी मांगते हैं और मौका लगने पर यात्रियों का सामान चोरी करनेे में भी गुरेज नहीं करते। गंगा घाटों पर हर रोज किसी न किसी यात्री के साथ उठाईगिरी, चोरी या जेब कटने की वारदात भी होती रहती है। पुलिस मामले को रिकॉर्ड में दर्ज कर लेती है और आरोपी कमतर ही पकड़े जाते हैं।

गंगा तट के किनारे करीब दो से ढाई सौ झुग्गी-झोपड़ियां बना ली गई थीं। यही नहीं शहर के विभिन्न हिस्सों में घुमंतु परिवार जगह-जगह कब्जा जमाए हुए हैं। केवल ऋषिकुल क्षेत्र में ही विद्यापीठ और ऋषिकुल आयुर्वेदिक कॉलेज की खाली जमीन के किनारे घुमंतु परिवारों ने अपना ठिकाना बना लिया है। दिन और रात सड़क के किनारे इन परिवारों के सैकड़ों सदस्य पन्नी डालकर निवास करते हैं।

इनमें ऋषिकुल मैदान से लेकर यमुना पैलेस तक उनके परिवार निवास कर रहे हैं, जो लोहे के तमाम औजार बनाकर अपना जीवन यापन करते हैं। इनके पास न तो शौचालय की सुविधा है और न ही स्थायी तौर पर नहाने धोने का कोई विकल्प। गंगा किनारे खुले में शौच और गंगा में ही कपड़े, बर्तन आदि धोनेे के साथ ही नहाने का काम भी चल जाता है। वर्षों से इन परिवारों का यही स्थायी ठिकाना बन चुका है।

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