सीतामढ़ी : चंपारण तटबंध टूटने के बाद सीतामढ़ी जिले का बागमती तटबंध मधकौल में टूट गया. माउस होल के कारण पहले धीरे-धीरे पानी का रिसाव हो रहा था. ग्रामीणों की पुरजोर कोशिश की लेकिन फिर भी तटबंध टूट गया. तटबंध टूटने के कारण के कारण 15 गांवों में बाढ़ का पानी घुस गया है.
तटबंध टूटने से कम से कम 30 हजार लोगों की आबादी प्रभावित हो गई है. प्रभावित गांवों में मधकौल के साथ-साथ जाफरपुर, पंडहिया, ओलीपुर, कंसार और बसौल प्रमुख हैं, जहां पांच फीट तक पानी घरों में घुस गया है. आने जाने वाली मुख्य सड़कों पर भी पानी का बहाव तेज है. बाढ़ प्रभावित लोग छतों के ऊपर शरण लिए हुए हैं. कम से कम मधकौल गांव में ही 40 से 45 लोगों के फंसे होने की खबर है.
इधर, SDRF की टीम लोगों के रेस्क्यू में जुट गई है. लोगों को घरों से निकालकर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा रही है. स्थानीय निवासियों के अनुसार, सुबह से ही मधकौल बांध में माउस होल (चूहों द्वारा बनाए गया बिल) से रिसाव की सूचना प्रशासन को दी गई थी. हालांकि, प्रशासनिक अधिकारियों ने मौके पर पहुंचकर रिसाव की जांच तो की, लेकिन तकनीकी टीम को सहायता के लिए चार घंटे तक नहीं भेजा.
इस बीच, ग्रामीणों ने स्वयं रिसाव को रोकने का प्रयास किया, लेकिन बिना उचित संसाधनों और जानकारी के वे सफल नहीं हो सके. इसकी चपेट में आने से सैकड़ों घर जलमग्न हो गए हैं और ग्रामीणों को सुरक्षित स्थानों पर जाने के लिए मजबूर होना पड़ा है.
स्थानीय प्रशासन मौके पर मौजूद है और लोगों का रेस्क्यू करवा रही है. बांध टूटने के बाद से 30 हजार की आबादी प्रभावित होने की खबर है. पानी का बहाव का बहाव काफी तेजी से हो रहा है. बांध फिलहाल 50 फिट टूटा है लेकिन लगातार यह दायरा बढ़ता ही जा रहा है. लोग ऊंचे स्थानों पर शरण लिए हुए हैं. घरों में 5 फीट तक पानी घुस गया है यह स्तर लगातार बढ़ भी रहा है.
अभी भी सैकड़ो लोग फंसे हुए है, जिनको निकलने के लिए एसडीआरएफ और एनडीआरएफ के साथ साथ आसपास के लोग भी जुटे हुए हैं. बताया जा रहा है कि सैकड़ों लोगों के घर डूब गए हैं. लोगों की जीवन भर की कमाई चंद मिनटों में बर्बाद हो गई. सैकड़ों की संख्या में मवेशी भी बह गए हैं.
हालांकि, कुछ मवेशियों का भी रेस्क्यू किया गया है. घर में रखे सारे सामान को छोड़कर लोग ऊंचे स्थान पर अपने बच्चो को लेकर भागते दिखाई दिए. बांध टूटने के बाद से अब पानी का बहाव रून्नीसैदपुर प्रखंड के गांवों की ओर बढ़ रहा है, जिससे और अधिक गांवों को खतरा उत्पन्न हो गया है. स्थानीय लोगों की स्थिति चिंताजनक है, और उन्हें तत्काल राहत सामग्री की आवश्यकता है. सरकार और स्थानीय प्रशासन को अब इस संकट का समाधान निकालने के लिए त्वरित कदम उठाने की आवश्यकता है.