साहित्यकार प्रोफेसर (डॉ.) दिनेश चमोला ‘शैलेश’ सम्मानित

देहरादूनः विभिन्न विधाओं में सात दर्जन से अधिक पुस्तकें लिखने वाले, साहित्य अकादमी के बाल साहित्य पुरस्कार से सम्मानित साहित्यकार प्रोफेसर (डॉ.) दिनेश चमोला ‘शैलेश’ को आज उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति, प्रो ओ पी एस नेगी ने हल्द्वानी में एक राष्ट्रीय समारोह में सम्मानित किया गया । प्रो. चमोला हिंदी एवं भारतीय भाषा विभाग द्वारा आयोजित हिंदी समारोह के मुख्य अतिथि के रूप में हल्द्वानी पधारे थे । उन्होंने ‘हिंदी भाषा : चेतना और संवेदना’ विषय पर प्रभावी व्याख्यान दिया ।

ध्यातव्य है कि 14 जनवरी, 1964 को उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जनपद के ग्राम कौशलपुर में स्व.पं. चिंतामणि चामोला ज्योतिषी एवं श्रीमती माहेश्वरी देवी के घर मेँ जन्मे प्रो. चमोला ने शिक्षा में प्राप्त कीर्तिमानों यथा एम.ए. अंग्रेजी, प्रभाकर; एम. ए. हिंदी (स्वर्ण पदक प्राप्त); पीएच-डी. तथा डी.लिट्. के साथ-साथ साहित्य के क्षेत्र में भी राष्ट्रव्यापी पहचान निर्मित की है। अभी तक प्रो. चमोला ने उपन्यास, कहानी, दोहा, कविता, एकांकी, बाल साहित्य, समीक्षा, शब्दकोश, अनुवाद, व्यंग्य, खंडकाव्य, व्यक्तित्व विकास, लघुकथा, साक्षात्कार, स्तंभ लेखन के साथ-साथ एवं साहित्य की विविध विधाओं में लेखन किया है ।

पिछले बयालीस (42) वर्षों से देश की अनेकानेक पत्र-पत्रिकाओं के लिए अनवरत लिखने वाले साहित्यकार प्रो.चमोला राष्ट्रीय स्तर पर साठ से अधिक सम्मान व पुरस्कार प्राप्त कर चुके हैं व साथ-साथ हिंदी जगत में अपने बहु-आयामी लेखन व हिंदी सेवा के लिए सुविख्यात हैं ।

आपकी चर्चित पुस्तकों में ‘यादों के खंडहर, ‘टुकडा-टुकड़ा संघर्ष, ‘प्रतिनिधि बाल कहानियां, ‘श्रेष्ठ बाल कहानियां, ‘दादी की कहानियां¸ नानी की कहानियां, माटी का कर्ज, ‘स्मृतियों का पहाड़, ’21श्रेष्ठ कहानियां‘ ‘क्षितिज के उस पार, ‘कि भोर हो गई, ‘कान्हा की बांसुरी, ’मिस्टर एम॰ डैनी एवं अन्य कहानियाँ,‘एक था रॉबिन, ‘पर्यावरण बचाओ, ‘नन्हे प्रकाशदीप’, ‘एक सौ एक बालगीत, ’मेरी इक्यावन बाल कहानियाँ, ‘बौगलु माटु त….,‘विदाई, ‘अनुवाद और अनुप्रयोग, ‘प्रयोजनमूलक प्रशासनिक हिंदी, ‘झूठ से लूट’, ‘गायें गीत ज्ञान विज्ञान के’ ‘मेरी 51 विज्ञान कविताएँ’ तथा ‘व्यावहारिक राजभाषा शब्दकोश’ आदि प्रमुख हैं।

हाल ही में आपकी अनेक पुस्तकें- ‘सृजन के बहाने: सुदर्शन वशिष्ठ’; ’21 श्रेष्ठ कहानियां’ (कहानियां); ‘बुलंद हौसले’ (उपन्यास); ‘पापा ! जब मैं बड़ा बनूंगा’; ‘मेरी दादी बड़ी कमाल’ (बाल कविता संग्रह) तथा ‘मिट्टी का संसार’ (आध्यात्मिक लघु कथाएं) आदि प्रकाशित हुई हैं।

प्रो. चमोला ने 22 वर्षों तक चर्चित हिंदी पत्रिका “विकल्प” का भारतीय पेट्रोलियम संस्थान, देहरादून से संपादन किया है तथा दो बार इस पत्रिका को भारत के राष्ट्रपति के हाथों प्रथम व द्वितीय पुरस्कार दिलाया है । आप देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों, आयोगों व संस्थानों की शोध समितियों ; प्रश्नपत्र निर्माण व पुरस्कार मूल्यांकन समितियों के सम्मानित सदस्य/विशेषज्ञ हैं । प्रो. चमोला गढ़ विहार, देहरादून में रहते हैं ।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *