नई दिल्लीः विश्व प्रसिद्ध तिरुपति लड्डू बनाने में घटिया सामग्री और पशु चर्बी के कथित उपयोग को लेकर एक बड़ा विवाद शुरू हो गया है। सत्तारूढ़ तेलुगु देशम पार्टी ने गुरुवार को दावा किया कि गुजरात स्थित पशुधन प्रयोगशाला ने मिलावट की पुष्टि की है। टीडीपी प्रवक्ता अनम वेंकट रमना रेड्डी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कथित लैब रिपोर्ट दिखाई, जिसमें दिए गए घी के नमूने में “बीफ टैलो” की मौजूदगी की पुष्टि की गई है।
इस खुलासे के बाद आंध्र प्रदेश की सियासत में तूफान खड़ा हो गया है। आंध्र प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष वाईएस शर्मिला ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, ‘चंद्रबाबू नायडू की यह टिप्पणी कि उन्होंने सीएम के रूप में लड्डू प्रसादम में घी के बजाय पशु तेल का इस्तेमाल किया, तिरुमाला की पवित्रता और प्रतिष्ठा के लिए हानिकारक है। करोड़ों हिंदुओं के आराध्य देव वेंकटेश को कलंकित किया है। हम सीएम चंद्रबाबू नायडू से मांग करते हैं। यदि आपके आरोपों में कोई राजनीतिक आयाम नहीं है, यदि भावनाओं का राजनीतिकरण करने का आपका कोई इरादा नहीं है, तुरंत एक उच्च स्तरीय समिति का गठन करें। या फिर सीबीआई से जांच कराएं।’
स्वाद और गुणवत्ता को बहाल करने के लिए टीटीडी को कई उपाय सुझाने के अलावा, समिति ने एनडीडीबी, गुजरात को घी के नमूने भी भेजे। जुलाई में जारी प्रयोगशाला रिपोर्ट ने लड्डुओं में चर्बी की पुष्टि की। टीटीडी ने तमिलनाडु के डिंडीगुल स्थित एआर डेयरी फूड्स के आपूर्ति किए गए घी के स्टॉक को वापस कर दिया और ठेकेदार को ब्लैकलिस्ट कर दिया। इसके बाद, टीटीडी ने घी की आपूर्ति के लिए कर्नाटक मिल्क फेडरेशन का चयन किया।
टीटीडी ने प्रसादम की गुणवत्ता की जांच के लिए एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया। सदस्यों में डॉ बी सुरेंद्रनाथ, राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान, विजयवाड़ा के पूर्व प्रधान वैज्ञानिक, भास्कर रेड्डी (डेयरी विशेषज्ञ), प्रोफेसर बी महादेवन (आईआईएम-बैंगलोर) और तेलंगाना पशु चिकित्सा विश्वविद्यालय से डॉ जी स्वर्णलता को टीम में शामिल किया गया।
टीडीपी सरकार ने जून में वरिष्ठ आईएएस अधिकारी जे श्यामला राव को तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) का नया कार्यकारी अधिकारी नियुक्त किया था। टीडीपी ही मंदिर परिसर का प्रबंधन करता है। तिरुपति में सुधार के लिए कई फैसले लिए गए। इसमें लड्डू की कथित खराब गुणवत्ता, स्वाद और बनावट की जांच को लेकर भी आदेश दिया गया था।कथित प्रयोगशाला रिपोर्ट में नमूनों में “लार्ड” (सूअर की चर्बी से संबंधित) और मछली के तेल की मौजूदगी का भी दावा किया गया है। लड्डुओं की सैंपलिंग 9 जुलाई 2024 को की गई थी और प्रयोगशाला रिपोर्ट 16 जुलाई को सामने आई।
मुख्य विवाद बीफ टैलो के कथित उपयोग को लेकर है। यह घटक रंप रोस्ट, पसलियों और स्टेक जैसे बीफ के टुकड़ों से निकली चर्बी होती है। इसे मांस से निकाले गए शुद्ध वसा को पिघलाकर भी बनाया जा सकता है, जो ठंडा होने पर एक लचीले पदार्थ में बदल जाता है। यह कमरे के तापमान पर देखने में नरम मक्खन जैसा ही लगता है।
तिरुपति मंदिर में लडडूओं का प्रसाद तैयार किया जाता है। रोज 3 लाख लड्डू बनाए जाते हैं और बांटे जाते हैं। लड्डुओं में बीफ की चर्बी, जानवरों की चर्बी और मछली का तेल मिला है। ये सब कुछ उस घी में मिला है, जिससे लड्डू तैयार किया जाता है। हैरान करने वाली बात यह है कि प्रसाद के तौर इन लड्डुओं को ना सिर्फ श्रद्धालुओं को बांटा गया, बल्कि भगवान को भी प्रसाद के तौर पर यही लड्डू चढ़ाया जाता रहा।