उत्तराखंड में आपदा प्रबंधन के लिए मुख्यमंत्री का सक्रिय दृष्टिकोण

देहरादून: हाल के महीनों में, उत्तराखंड ने कई प्राकृतिक आपदाओं को देखा है, जो मुख्य रूप से अनियमित मौसम पैटर्न और क्षेत्र की अनूठी स्थलाकृतिक चुनौतियों के कारण हुई हैं। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री के रूप में, पुष्कर सिंह धामी ने आपदा प्रबंधन में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं, जिसमें नागरिकों की भलाई को सबसे आगे रखने वाले सक्रिय दृष्टिकोण पर जोर दिया गया है। सरकारी अधिकारियों के बीच सतर्कता बनाए रखने और आपात स्थितियों के दौरान त्वरित प्रतिक्रिया सुनिश्चित करने की उनकी प्रतिबद्धता आपदाओं को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने में उनके नेतृत्व को रेखांकित करती है।

मुख्यमंत्री धामी के प्रयास निरंतर तत्परता से शुरू होते हैं। उन्होंने अधिकारियों को हर समय सतर्क रखने के उपाय किए हैं, खासकर अप्रत्याशित मौसम में। इस दृष्टिकोण की तात्कालिकता तब स्पष्ट हुई जब वे शुक्रवार को हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में चुनाव प्रचार से लौटते ही अपना ध्यान राज्य आपातकालीन संचालन केंद्र पर केंद्रित किया, जहां उन्होंने दो दिनों में हुई बारिश से संबंधित घटनाओं पर तुरंत अपडेट मांगा। यह तत्काल प्रतिक्रिया न केवल उनके समर्पण को दर्शाती है, बल्कि उनकी प्रशासनिक टीमों के लिए एक महत्वपूर्ण मिसाल भी स्थापित करती है।

इसके अलावा, संभावित आपदा की स्थिति में, धामी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जिला मजिस्ट्रेटों से सीधे संवाद करते हैं। यह तरीका सुनिश्चित करता है कि सूचना राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में तेजी से और प्रभावी ढंग से प्रवाहित हो। अपने निर्देशों में, वे सभी अधिकारियों को 24 घंटे तत्परता के लिए “अलर्ट मोड“ में रखने के महत्व पर जोर देते हैं। यह ऐसे राज्य में महत्वपूर्ण है, जहां अचानक और गंभीर मौसम परिवर्तन होने की संभावना होती है, जिससे सड़कें बंद हो सकती हैं और भूस्खलन हो सकता है। यह सुनिश्चित करके कि अधिकारी तुरंत कार्रवाई करने के लिए तैयार हैं, धामी संकट के समय में त्वरित कार्रवाई की आवश्यकता पर जोर देते हैं।

मुख्यमंत्री धामी का व्यावहारिक दृष्टिकोण घटनाओं के बाद आपदा स्थलों पर उनके तत्काल दौरे से स्पष्ट होता है। आपदा के स्थान पर उनकी उपस्थिति न केवल स्थानीय लोगों और आपातकालीन प्रतिक्रियाकर्ताओं दोनों के लिए मनोबल बढ़ाने का काम करती है, बल्कि उन्हें स्थिति का सीधे तौर पर आकलन करने का भी मौका देती है। यह व्यक्तिगत भागीदारी प्रतिबद्धता के स्तर को प्रदर्शित करती है जो नागरिकों के साथ प्रतिध्वनित होती है, जिससे सरकारी उपायों और नीतियों में विश्वास बढ़ता है।

जन जागरूकता की आवश्यकता को पहचानते हुए, धामी ने स्थानीय निवासियों, विशेष रूप से संवेदनशील क्षेत्रों में, संभावित खतरों और सुरक्षा उपायों के बारे में सूचित करने के प्रयासों का निर्देश दिया है।  जलभराव और अन्य जोखिमों के बीच लोगों को सुरक्षित स्थानों पर जाने के लिए उनका आह्वान आपदा की तैयारियों में सभी की भागीदारी के महत्व को रेखांकित करता है। जागरूकता बढ़ाकर और सक्रिय उपायों को बढ़ावा देकर, वे आपदा प्रबंधन प्रक्रिया में नागरिकों को प्रभावी रूप से शामिल करते हैं।

6 जनवरी 2023 को मुख्यमंत्री धामी पहुंचे थे जोशीमठ।
जनवरी 2023 शुरुआत में ही जोशीमठ में भू-धंसाव के चलते सैकड़ों परिवारों का जीवन संकट में पड़ गया था। इस आपदा से निपटने के लिए कई प्रयास किए गए।  6 जनवरी 2023 को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने स्थिति का जायजा लेने के लिए जोशीमठ का दौरा किया और अधिकारियों को रेस्क्यू ऑपरेशन तेज करने का आदेश दिए थे। इससे पहले सचिवालय में उच्चस्तरीय बैठक बुलाई गई थी।

मुख्यमंत्री धामी ने नरसिंह मंदिर और मारवाड़ी इलाके का भी दौरा किया और प्रभावित परिवारों से मिलकर उन्हें हरसंभव मदद का आश्वासन दिया। उन्होंने सभी को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने के आदेश दिए हैं। अधिकारियों ने 6 जनवरी 23 तक 100 से अधिक परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया। और रेस्क्यू अभियान को और भी तेज किया। जोशीमठ में होटल व अन्य भवन स्वामियों को सरकार की तरफ से उचित  मुआवजा दिया गया।

हरिद्वार जल भराव, सीएम ने नाव से लिया जायजा!
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने 13 जुलाई 2023 को हरिद्वार का दौरा कर जलभराव से प्रभावित क्षेत्रों का निरीक्षण किया। उन्होंने हेलीकॉप्टर से हवाई सर्वेक्षण किया और नाव से भी स्थिति का जायजा लिया। इसके बाद, मुख्यमंत्री ने देहरादून स्थित आपदा प्रबंधन नियंत्रण कक्ष में अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की। इस बैठक में उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि प्रभावित लोगों को आवश्यकताएँ, जैसे भोजन, पानी और मेडिकल सहायता, जल्द से जल्द पहुंचाई जाएं। मुख्यमंत्री धामी का यह त्वरित प्रतिक्रिया और स्थितियों का स्वयं निरीक्षण करना उनके जनता के प्रति समर्पण और संवेदनशीलता को दर्शाता है।

सिल्क्यारा-बड़कोट टनल , मुख्यमंत्री ने मातली में किया कैम्प
12 नवंबर 2023 को उत्तराखंड के सिल्क्यारा-बड़कोट निर्माणधीन टनल में भूस्खलन होने की वजह से 41 श्रमिक फँस गए थे, जिनमें कंपनी के दो फ़ोरमैन भी शामिल थे। यह घटना दिवाली के दिन सुबह करीब 5 बजे हुई थी। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इसे एक बड़ी प्राथमिकता मानते हुए तुरंत ही राहत एवं बचाव कार्य शुरू करवाए। इसके लिए पूरी सरकारी मशीनरी को सक्रिय कर दिया गया और बचाव कार्य में दिक्कत न हो, इसके लिए मुख्यमंत्री ने खुद भी स्थल पर विशेषज्ञ टीम और आईटीबीपी मातली उत्तरकाशी में करीब एक सप्ताह का कैम्प किया।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की तत्परता और सक्रियता के कारण सभी श्रमिकों को सुरक्षित बाहर निकाला जा सका। यह दर्शाता है कि सरकार की तत्पर और सही समय पर राहत-बचाव कार्य की योजना और क्रियान्वयन की योग्यताएं  आपात स्थिति में कितनी महत्वपूर्ण होती हैं। सभी श्रमिकों को बड़े परिश्रम के 17 दिन बाद 28 नवम्बर 2023 को सुरक्षित निकाल पाने की इस सफलता पर राज्य के नागरिकों में राहत और मुख्यमंत्री की कार्यशैली की सराहना हुई थी।

खटीमा और चंपावत जनपद के आपदा प्रभावित क्षेत्रों का निरीक्षण किया।
सीएम पुष्कर सिंह धामी ने 9 जुलाई 2024 में कुमाऊं मंडल के दौरे के दौरान उधम सिंह नगर के खटीमा और चंपावत जनपद के आपदा प्रभावित क्षेत्रों का निरीक्षण किया। अतिवृष्टि के कारण हुए बाढ़ जैसी स्थिति से निपटने के लिए उन्होंने अधिकारियों से त्वरित और प्रभावी कदम उठाने के निर्देश दिए। खटीमा क्षेत्र में चकरपुर, अमाऊं, खटीमा बाजार, रेलवे क्रासिंग, आवास विकास और पकड़िया जैसे अनेक क्षेत्र अतिवृष्टि से प्रभावित हुए। सीएम धामी ने इन क्षेत्रों का हवाई और स्थलीय निरीक्षण किया और स्थिति का जायजा लिया।

सीएम धामी ने आठ जुलाई को कुमाऊं मंडल के अधिकारियों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बातचीत की। उन्होंने बाढ़ प्रभावित लोगों को तुरंत राहत पहुंचाने और  NDRF, SDRF व जल पुलिस की मदद से फंसे लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने के निर्देश दिए। अतिवृष्टि और बाढ़ से उत्पन्न समस्याओं से निपटने के लिए सीएम धामी ने प्रशासन की तत्परता और समर्पण की प्रशंसा की और जल्द से जल्द सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए अधिकतम प्रयास करने का आग्रह किया।

टिहरी के  तोली और तिनगढ़ त्रासदी!
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने 29 जुलाई 2024 को उत्तराखंड के आपदा प्रभावित क्षेत्र घनसाली, टिहरी का दौरा किया। भारी बारिश और भूस्खलन ने इस क्षेत्र में काफी तबाही मचाई थी। तिनगढ़ गांव में शनिवार को हुए भूस्खलन में 15 आवासीय मकान मलबे में दब गए थे, लेकिन प्रशासन की तत्परता से इन घरों को पहले ही खाली करा लिया गया था, जिसके कारण कोई जनहानि नहीं हुई। प्रभावित ग्रामीणों को विनयखाल के राजकीय इंटर कॉलेज में अस्थायी रूप से ठहराया गया। भिलंगना ब्लॉक के तोली गांव में भूस्खलन की त्रासदी ने एक परिवार को प्रभावित किया, जहां एक मकान के अंदर मां और बेटी की मौत हो गई। परिवार के अन्य सदस्य भाग कर अपनी जान बचाने में कामयाब रहे।

मुख्यमंत्री ने विनयखाल के आपदा शिविर में रह रहे पीड़ितों से मुलाकात की और उनके दुख-दर्द को साझा किया। उन्हें हर संभव मदद का भरोसा दिलाया। सीएम के सामने कई पीड़ित भावुक हो गए, खासकर बुजुर्ग महिलाओं के आंसू छलक आए, जो इस आपदा से बुरी तरह प्रभावित हुई थीं। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार इस मुश्किल घड़ी में पीड़ितों के साथ मजबूती से खड़ी है और हर संभव सहायता प्रदान करेगी। आपदा के मद्देनजर प्रशासन और राहत कार्यकर्ता लगातार राहत और बचाव कार्यों में जुटे हुए हैं।
सरकार ने भी आपदा प्रबंधन और राहत कार्यों के लिए अतिरिक्त संसाधन और सहायता प्रदान करने का आश्वासन दिया है, ताकि प्रभावित लोगों को जल्द से जल्द सहायता पहुंचाई जा सके और उनका सामान्य जीवन पुनः स्थापित हो सके। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का यह दौरा पीड़ितों के लिए मनोबल बढ़ाने वाला साबित हुआ और उन्होंने भरोसा दिलाया कि सरकार पीड़ितों के पुनर्वास के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएगी।

आपदाग्रस्त क्षेत्र जखन्याली टिहरी का दौरा किया।
मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने गुरुवार को जनपद टिहरी के आपदाग्रस्त क्षेत्र जखन्याली का 1 अगस्त 2024 को स्थलीय निरीक्षण किया। मुख्यमंत्री ने आपदाग्रस्त क्षेत्र में यात्रा कर पीड़ित परिवारों से मुलाकात की और उन्हें सांत्वना दी। उन्होंने शोकसंवेदना व्यक्त करते हुए दिवंगत आत्माओं की शांति और शोकाकुल परिवारों को धैर्य और साहस प्रदान करने की कामना की। मुख्यमंत्री ने प्रभावितों को भरोसा दिलाया कि राज्य सरकार और प्रशासन इस कठिन परिस्थिति में उनके साथ खड़े हैं और उन्हें हर संभव सहायता प्रदान की जाएगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि यह समय एक दूसरे का सहयोग करने का है और सबको मिलकर इस संकट का सामना करना होगा। इसके अतिरिक्त, उन्होंने स्थानीय प्रशासन को निर्देश दिया कि वे राहत कार्यों में तेजी लाएं और सुनिश्चित करें कि कोई भी प्रभावित व्यक्ति सहायता से वंचित न रह जाए। उनकी उपस्थिति ने प्रभावित समुदायों को सांत्वना और उत्साह प्रदान किया। मुख्यमंत्री ने जनता से अपील की कि वे इस कठिन घड़ी में एकजुट रहें और एक-दूसरे का समर्थन करें।

केदारघाटी में सफल रेस्क्यू अभियान!
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने केदारघाटी में सफल रेस्क्यू अभियान के पूरा होने की घोषणा की।  केदारनाथ पैदल यात्रा  पुनः शुरू होने की उम्मीद है। 6 अगस्त 2024 को रुद्रप्रयाग पहुंचकर, सीएम धामी ने राहत और बचाव कार्यों की समीक्षा की और प्रभावित लोगों का हालचाल जाना। रेस्क्यू ऑपरेशन के पहले चरण के पूरा होने की जानकारी देते हुए सीएम धामी ने कहा कि अब दूसरे चरण में व्यवस्थाओं को दुरुस्त कर केदारनाथ पैदल यात्रा को शुरू कराने पर ध्यान दिया जा रहा है।

चौमासी से भैरव मंदिर तक के पैदल मार्ग को वैकल्पिक रूट के रूप में बनाने का कार्य भी प्रगति पर है। मुख्यमंत्री धामी ने यह भी बताया कि रिकॉर्ड समय में लगभग 15,000 यात्रियों और स्थानीय लोगों को एयरलिफ्ट और पैदल मार्गों से सुरक्षित रेस्क्यू किया गया है। अब जहां भी मार्ग क्षतिग्रस्त हैं, उनकी मरम्मत के लिए युद्धस्तर पर कार्य शुरू कर दिया गया है।

टिहरी के घुत्तु-पंजा-देवलिंग में 22 अगस्त को आपदा प्रभावित क्षेत्रों का निरीक्षण
22 अगस्त को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भराड़ीसैंण विधानसभा सत्र में व्यस्त कार्यक्रम के बावजूद टिहरी जिले के घुत्तु-पंजा-देवलिंग के आपदा प्रभावित क्षेत्रों का महत्वपूर्ण दौरा किया। यह दौरा पिछले दिन हुई विनाशकारी घटनाओं के जवाब में था, जब 21 अगस्त को इस क्षेत्र में एक आपदा आई थी। मुख्यमंत्री की मौजूदगी ने चल रहे राहत और बचाव कार्यों की तात्कालिकता और महत्व को रेखांकित किया, जो प्रभावित लोगों की तत्काल जरूरतों को पूरा करने में महत्वपूर्ण थे।अपने दौरे के दौरान, मुख्यमंत्री धामी ने मलेठी में प्रभावित परिवार  विशाल मणि की पत्नी दुर्गा देवी से मुलाकात की। यह बातचीत महज औपचारिक नहीं थी; इसने आपदा से होने वाले मानवीय नुकसान के प्रति करुणामय समझ को प्रदर्शित किया।


पैदल मार्ग घोड़े- खच्चरों के लिए 26 दिनों के भीतर ही खुल गए हैं

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की निगरानी में चले रेस्क्यू अभियान में हजारों श्रद्धालुओं एवं स्थानीय जनता को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया। इसके बाद प्रशासन की ओर से पैदल मार्ग को तेजी के साथ दुरुस्त करने की चुनौती थी। इस चुनौती को भी जिला प्रशासन ने पार पा लिया जिसके बाद मार्ग को घोड़ा खच्चर संचालन के लिए भी दुरुस्त कर लिया गया है।
26 अगस्त को श्री केदारनाथ धाम यात्रा मार्ग पर 31 जुलाई को अतिवृष्टि के चलते बंद हुए पैदल मार्ग घोड़े- खच्चरों के लिए 26 दिनों के भीतर ही खुल गए हैं। यात्रा मार्ग पर घोड़े- खच्चरों की आवाजाही के साथ ही घोड़े- खच्चरों से राशन एवं अन्य अनिवार्य सामग्री की आपूर्ति भी शुरू हो गई है।

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