नई दिल्ली: रूस-यूक्रेन जंग और इजरायल-हमास युद्ध के बीच अब अमेरिका को न्यूक्लियर वॉर का डर सताने लगा है. अमेरिका को डर है कि चीन, रूस और नॉर्थ कोरिया की यह तिकड़ी कभी भी अमेरिका पर न्यूक्लियर बमों की वर्षा कर सकती है. यही वजह है कि जो बाइडन ने अमेरिकी सेनाओं को परमाणु मिसाइल रेडी रखने का आदेश दिया है.
इस बाबत अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने मार्च महीने में ही एक बेहद गोपनीय परमाणु रणनीति योजना को मंजूरी दी थी. इसे न्यूक्लियर एम्प्लॉयमेंट गाइडेंस के नाम से जाना जाता है. न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है. हालांकि, इस रिपोर्ट पर चीन ने अमेरिका को कोसा है. चीन का कहना है कि अमेरिका बार-बार चीन से परमाणु खतरे का राग अलाप रहा है, मगर हकीकत तो यह है कि दुनिया के लिए सबसे बड़ा परमाणु खतरा तो वह खुद है.
न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने अमेरिकी सेनाओं को रूस, चीन और उत्तर कोरिया के साथ संभावित परमाणु युद्ध के लिए तैयार रहने का आदेश दिया है. अमेरिकी की परमाणु रणनीति योजना के तहत पहली बार अमेरिका ने अपनी रणनीति में बदलाव किया है. माना जा रहा है कि चीन के बढ़ते परमाणु हथियारों के जखीरों से पैदा होने वाले संभावित खतरे को देखते हुए अमेरिका ने यह फैसला लिया है.
अमेरिका का मानना है कि अगले एक दशक में चीन का परमाणु जखीरा अमेरिका को टक्कर देगा. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने साफ-साफ कहा है कि अमेरिका को केवल चीन, रूस और नॉर्थ कोरिया से ही न्यूक्लियर जंग का खतरा है. उसमें भी अमेरिका की सबसे बड़ी चिंता चीन है.
इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद अब अमेरिका और चीन में तू-तू, मैं-मैं होने लगी है. चीन को परमाणु खतरा बताए जाने पर बीजिंग ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है. चीनी विदेश मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने कहा कि अमेरिका खुद दुनियाभर में परमाणु खतरे का प्राइमरी सोर्स है. चीनी सरकार के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स ने लिखा, ‘अमेरिका भले ही चीन के परमाणु खतरे का रोना रो रहा है, मगर हकीकत तो यह है कि वह खुद अपना परमाणु जखीरा बढ़ा रहा है.
अमेरिका अपने परमाणु जखीरे को बनाए रखने के लिए बार-बार बहाने के रूप में चीन का नाम लेता रहता है. अमेरिका चाहता है कि वह दुनियाभर में सबसे ताकतवर रहे, ताकि वह बिना किसी डर और अपनी मर्जी से दुनिया भर के देशों को धमका सके और उस पर प्रेशर बनाकर रखे. अमेरिका यह सब अपना वर्चस्व बनाए रखने के लिए कर रहा है.’
अब सवाल उठता है कि क्या अमेरिका का कितना सही है? क्या चीन सच में परमाणु जखीरा बढ़ा रहा है? तो इसका जवाब है हां. जो बाइडन का डर यूं ही नहीं है. वास्तव में चीन बहुत ही तेजी अपने परमाणु शस्त्रागार को बढ़ा रहा है. इस साल तो न्यूक्लियर हथियार की उसकी रफ्तार ने पूरी दुनिया को हैरत में डाल दिया है. असल में न्यूक्लियर बम के मामले में चीन की स्पीड देखकर ही अमेरिका टेंशन में है.
चीन दुनिया भर के किसी भी अन्य देश की तुलना में अपने परमाणु शस्त्रागार को सबसे तेजी से बढ़ा रहा है. एसआईपीआरआई यानी स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस इंस्टीट्यूट की रिपोर्ट के मुताबिक, 2024 में चीन के पास 500 परमाणु हथियार हैं, जबकि एक साल पहले यानी जनवरी 2023 में यह संख्या 410 थी. हैरानी की बात यह है कि चीन की यह रफ्तार अमेरिका-रूस से काफी अधिक थी.
रिपोर्ट के मुताबिक, मौजूदा वक्त में अभी रूस के पास सबसे अधिक 4380 परमाणु हथियार हैं. वहीं, अमेरिका के पास 3708 हैं. तीसरे नंबर पर 500 न्यूक्लियर हथियार के साथ चीन है. अमेरिका की चिंता की एक वजह यह भी है कि अगर रूस, चीन और नॉर्थ कोरिया के परमाणु हथियारों की संख्या को मिला दिया जाए तो यह आंकड़ा 4930 हो जाता है. नॉर्थ कोरिया के पास अकेले 50 परमाणु हथियार हैं.
अमेरिका की चिंता यह भी है कि 2030 तक चीन अपने परमाणु हथियारों की संख्या को दोगुना कर लेगा. हालांकि, चीन परमाणु हथियारों की स्पीड का बचाव यह दलील देकर करता है कि चीन परमाणु हथियारों का विकास दूसरे परमाणु-संपन्न देशों से खतरों से बचने के लिए कर रहा है. अब देखने वाली बात है कि परमाणु हथियारों की यह होड़ कहां तक जाती है.