नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने कोलकाता में डॉक्टर से दरिंदगी को भयावह घटना करार देते हुए देशभर में डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों की सुरक्षा के संबंध में संस्थागत विफलता पर चिंता जताई है। शीर्ष अदालत ने कहा कि दूसरों को स्वास्थ्य देखभाल मुहैया कराने वालों के स्वास्थ्य और सुरक्षा से समझौता बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। जमीनी बदलाव के लिए देश एक और दुष्कर्म या हत्या का इंतजार नहीं कर सकता।
सुप्रीम कोर्ट ने देशभर के डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का तंत्र स्थापित करने के लिए 14 सदस्यीय नेशनल टास्क फोर्स गठित की है। कोर्ट ने डाक्टरों को सुरक्षा का भरोसा दिलाते हुए उनसे समाज और मरीजों के हित में काम पर लौटने की अपील भी की। सुप्रीम कोर्ट ने इसके साथ ही डाक्टर से दरिंदगी के मामले में एफआइआर दर्ज करने में देरी पर सवाल उठाते हुए बंगाल सरकार को कड़ी फटकार भी लगाई।
कोर्ट ने 14-15 अगस्त की रात अस्पताल में भीड़ के घुसकर उपद्रव करने और अस्पताल की इमरजेंसी व घटनास्थल तक पहुंच जाने पर राज्य पुलिस की नाकामी पर भी ममता सरकार को आड़े हाथों लेते हुए पूछा कि आपकी पुलिस क्या कर रही थी। कोर्ट ने बंगाल सरकार को उपद्रव की जांच के बारे में स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है, साथ ही डॉक्टर से दरिंदगी की जांच कर रही सीबीआइ से भी जांच की स्थिति रिपोर्ट मांगी है।
कोर्ट ने आरजी कर अस्पताल और हास्टल की सुरक्षा केंद्रीय बल सीआइएसएफ को दे दी है। इतना ही नहीं शांतिपूर्ण प्रदर्शन के अधिकार को मान्यता देते हुए कोर्ट ने बंगाल सरकार से कहा है कि वह शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे प्रदर्शकारियों के विरुद्ध ताकत का इस्तेमाल नहीं करेगी। इस मामले में कोर्ट 22 अगस्त को फिर सुनवाई करेगा।
ये आदेश मंगलवार को प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पार्डीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने टास्क फोर्स को विभिन्न मुद्दों पर विचार कर तीन सप्ताह में अंतरिम और दो महीने में अंतिम रिपोर्ट देने को कहा है। पीठ ने कहा कि विभिन्न राज्यों जैसे महाराष्ट्र, केरल, कर्नाटक, तेलंगाना, बंगाल, आंध्र प्रदेश, और तमिलनाडु में स्वास्थ्यकर्मियों के प्रति हिंसा रोकने और संपत्ति नष्ट करने के लिए कानून हैं।
इन कानूनों में स्वास्थ्यकर्मियों के साथ किसी भी तरह की हिंसा की मनाही है। हालांकि इनमें समस्या के संस्थागत और व्यवस्थात्मक कारणों को रेखांकित नहीं किया गया है। संस्थागत सुरक्षा का स्तर सुधारे बगैर सजा में बढ़ोतरी की समस्या को प्रभावी ढंग से हल करना संभव नहीं होगा।
शीर्ष अदालत ने आदेश में अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों में सुरक्षा स्तर की खामियों की जमीनी हकीकत का उल्लेख करते हुए कहा कि रात्रि ड्यूटी पर तैनात डाक्टरों व स्वास्थ्यकर्मियों के आराम करने के लिए उचित स्थान नहीं होता। ड्यूटी रूम कम हैं। इंटर्न और रेजीडेंट डाक्टर 36 घंटे की शिफ्ट करते हैं, उनके लिए साफ-सफाई और आराम की समुचित व्यवस्था नहीं होती।
मेडिकल केयर यूनिट में सुरक्षाकर्मियों की कमी रहती है। इन लोगों के हास्टल तक आने-जाने के लिए सुरक्षित ट्रांसपोर्ट की सुविधा नहीं होती। और भी कई कारण आदेश में दिए गए हैं और इन सब चीजों को देखते हुए कोर्ट ने नेशलन टास्क फोर्स का गठन किया है जो इन पहलुओं पर विचार करके अपने सुझाव देगी। इसके अलावा कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा है कि वह राज्यों के अस्पतालों में सुरक्षा उपायों पर राज्यों से सूचना एकत्र करेगी और एक महीने में हलफनामा दाखिल कर कोर्ट को बताएगी।
नेशनल टास्क फोर्स के सदस्य
1- सर्जन वाइस एडमिरल आरती सरीन
2- डा. एन. नागेश्वर रेड़्डी (एशियन इंस्टीट्यूट आफ गैस्ट्रोएंटेरोलाजी एंड एआइजी अस्पताल हैदराबाद के चेयरमैन एंड मैने¨जग डायरेक्टर)
3- डा. एम. श्रीनिवास (एम्स दिल्ली के निदेशक)
4- डा. प्रतिमा मूर्ति (नेशनल इंस्टीट्यूट आफ मेंटल हेल्थ और न्यूरोसाइंस (निमहांस) बेंगलुरु की निदेशक)
5- डा. गोवर्धन दत्त पुरी (एम्स जोधपुर के कार्यकारी निदेशक)
6- डा. सौमित्र रावत (मेंबर बोर्ड आफ मैनेजमेंट सर गंगाराम अस्पताल दिल्ली)
7- प्रो. अनीता सक्सेना (पंडित बीडी शर्मा मेडिकल यूनीवर्सिटी रोहतक की पूर्व डीन और एम्स दिल्ली में कार्डियोलाजी विभाग की प्रमुख)
8- डा. पल्लवी सापले (ग्रांट मेडिकल कालेज एंड जेजे ग्रुप आफ हास्पिटल मुंबई की डीन)
9- डा. पद्मा श्रीवास्तव (दिल्ली एम्स के न्यूरोलाजी विभाग की पूर्व प्रोफेसर। अभी पारस हेल्थ गुरुग्राम में न्यूरोलाजी की चेयरपर्सन)
जब तड़के ही अपराध का पता चल गया था तो माता-पिता को आत्महत्या करने की बात क्यों बताई गई। उन्हें शव देरी से क्यों दिखाया गया।- डाक्टर की हत्या और दरिंदगी की प्राथमिकी देर रात दर्ज हुई। प्राथमिकी दर्ज करने में इतनी देर क्यों हुई। (कोर्ट ने आधे घंटे तक देखे मामले के दस्तावेज और पोस्टमार्टम रिपोर्ट की फाइल)- क्या एफआइआर दर्ज हुई थी? क्या हत्या की प्राथमिकी दर्ज हुई थी?
कोर्ट के सवाल पर राज्य सरकार के वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि पहले एफआइआर अप्राकृतिक मौत की दर्ज हुई थी। पोस्टमार्टम के बाद हत्या की एफआइआर (रात 11.45 बजे) दर्ज हुई।
प्रिंसिपल क्या कर रहे थे? उन्होंने देर रात तक घटना की एफआइआर क्यों नहीं दर्ज कराई?आरजी कर कॉलेज के प्रिंसिपल जब जांच के घेरे में थे तो उन्हें वहां से हटाने के बाद तुरंत दूसरी जगह कैसे नियुक्ति दे दी गई? क्रिटिकल फैसेलिटी में डाक्टर काम कर रहे थे तो उपद्रवी भीड़ वहां अस्पताल में कैसे घुस गई? वहां सब नष्ट कर दिया। आपकी पुलिस क्या कर रही थी?- क्राइम स्पाट (घटनास्थल) की सुरक्षा पुलिस को करनी चाहिए थी,
पुलिस कहां थी? बंगाल सरकार अस्पताल में उपद्रवी भीड़ के घुसने और तोड़फोड़ करने के मामले की जांच की स्थिति रिपोर्ट दाखिल करे। बंगाल सरकार शांतिपूर्ण ढंग से प्रदर्शन कर रहे प्रदर्शनकारियों पर ताकत का इस्तेमाल नहीं करेगी।कोलकाता में डाक्टर से द¨रदगी मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा मंगलवार को सख्त टिप्पणी किए जाने के कुछ घंटे बाद ही ममता सरकार ने कोलकाता पुलिस के दो असिस्टेंट कमिश्नर और एक इंस्पेक्टर को निलंबित कर दिया।
विभागीय जांच के भी आदेश दिए गए हैं। यह कार्रवाई आरजी कर मेडिकल कालेज एवं अस्पताल में 14 अगस्त की रात तोड़फोड़ के मामले में की गई है। इन अधिकारियों के कार्य में लापरवाही पाई गई।बता दें कि आधी रात को बड़ी संख्या में अज्ञात लोगों ने अस्पताल के परिसर में घुसकर उसके कुछ हिस्सों में जमकर तोड़फोड़ की थी। अस्पताल के भीतर व बाहर बड़ी संख्या में पुलिस व रैपिड एक्शन फोर्स की मौजूदगी के बावजूद यह सब हुआ था।