नई दिल्ली: आरक्षण की आग में इस समय पूरा बांग्लादेश झुलस रहा है. चारों तरफ हिंसा की आग की भड़की हुई है. झड़पों में कई लोगों के मारे जाने और सैकड़ों के घायल होने के बाद शनिवार को पुलिस ने राजधानी के कई हिस्सों में गश्त के दौरान बांग्लादेश में सख्त कर्फ्यू लगा दिया. साथ ही पुलिस को उपद्रवियों को “देखते ही गोली मार देने” का आदेश दिया गया है.
सत्तारूढ़ अवामी लीग पार्टी के महासचिव और सांसद ओबैदुल कादर ने बताया कि कर्फ्यू आधी रात को शुरू हुआ और दोपहर 12 बजे से दोपहर 2 बजे तक लोगों को जरूरी काम निपटाने के लिए इसमें ढील दी गई. उम्मीद है कि यह रविवार सुबह 10 बजे तक जारी रहेगा. इस दौरान अधिकारियों को चरम मामलों में भीड़ पर गोली चलाने की अनुमति होगी.
न्यूज एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार बांग्लादेश की राजधानी ढाका की सुनसान सड़कों पर शनिवार को सैनिकों ने गश्त की और सरकार ने सभी कार्यालयों और संस्थानों को दो दिनों के लिए बंद रखने का आदेश दिया. सरकारी नौकरी में आरक्षण के खिलाफ छात्रों के नेतृत्व में हुए विरोध प्रदर्शनों के दौरान इस सप्ताह कम से कम 114 लोगों की मौत हो गई थी.
अस्पताल के आंकड़ों के अनुसार, शनिवार को ढाका के कुछ इलाकों में छिटपुट झड़पों के दौरान कम से कम चार लोगों की मौत हो गई. यह इलाका विरोध प्रदर्शनों का केंद्र रहा है और जहां सुरक्षा बलों ने कर्फ्यू लागू करने के लिए सड़क अवरोध लगाए थे. प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार ने देश की स्थिति के कारण रविवार और सोमवार को “सार्वजनिक अवकाश” घोषित किया है तथा केवल आपातकालीन सेवाओं को ही संचालित करने की अनुमति दी गई है.
अधिकारियों ने इससे पहले बुधवार से विश्वविद्यालयों और कॉलेजों को बंद कर दिया था. सरकारी नौकरियों में कोटा के खिलाफ छात्रों के गुस्से के बाद देश भर में अशांति फैल गई, जिसमें पाकिस्तान से आजादी के लिए लड़ने वालों के परिवारों के लिए 30% आरक्षण शामिल था.
हसीना की सरकार ने 2018 में कोटा प्रणाली को खत्म कर दिया था, लेकिन पिछले महीने एक अदालत ने इसे फिर से लागू कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने सरकार की अपील के बाद इस फैसले को निलंबित कर दिया और 7 अगस्त को होने वाली सुनवाई को आगे बढ़ाने पर सहमति जताते हुए रविवार को मामले की सुनवाई करेगा.