उदय दिनमान डेस्कः दुनियाभर में कोरोना वायरस का प्रकोप पूरी तरह खत्म भी नहीं हुआ है और इसी बीच जापान में फैले एक बैक्टीरिया ने सभी को चिंता में डाल दिया है. जापान में इस वक्त एक टिश्यू डैमेजिंग बैक्टीरिया तेजी से फैल रहा है, जिसकी चपेट में आने से इंसान सिर्फ 48 घंटों में ही दम तोड़ सकता है. इस जानलेवा बैक्टीरिया की वजह से फैलने वाली बीमारी को स्ट्रेप्टोकोकल टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम (STSS) कहा जाता है. अब सवाल है कि क्या कोविड की तरह यह बैक्टीरिया जल्द ही पूरे विश्व में फैल सकता है? चलिए इस बारे में कुछ फैक्ट जान लेते हैं.
जापान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक यह एक रेयर बैक्टीरिया है, जिसके मामले जापान में साल 1999 से दर्ज किए जा रहे हैं. हर साल STSS की वजह से सैकड़ों लोग बीमार हो जाते हैं, जिनमें तमाम लोगों की मौत भी हो जाती है. जापान के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इंफेक्टियस डिजीज की मानें तो साल 2023 में इस घातक बैक्टीरिया की चपेट में 941 लोग आए थे. हालांकि इस साल 2 जून तक 977 केस मिलने से डर का माहौल बन गया है. जापान के अलावा भी कई देशों में इस तरह की बीमारी के केस देखे गए हैं, जिनमें यूरोपियन कंट्री भी शामिल हैं.
जापान के टोक्यो वीमेंस मेडिकल यूनिवर्सिटी में इंफेक्टियस डिजीज के प्रोफेसर केन किकुची का कहना है कि अगर जापान में संक्रमण की रफ्तार इसी तरह रही, तो साल 2024 में इस बैक्टीरिया की चपेट में करीब 2500 लोग आ सकते हैं.
चिंता की बात यह है कि इस बीमारी की मृत्यु दर 30 प्रतिशत है और अधिकतर मरीजों की मौत सिर्फ 48 घंटों में हो सकती है. 40 साल से ज्यादा की उम्र के लोगों को इस बैक्टीरियल इंफेक्शन का खतरा ज्यादा होता है और इस एज ग्रुप के लोगों को ज्यादा सावधानी बरतने की जरूरत है.
इस घातक बैक्टीरिया के मामले सिर्फ जापान ही नहीं, बल्कि कई देशों में मिल चुके हैं. WHO की एक रिपोर्ट बताती है कि साल 2022 में कम से कम 5 यूरोपियन देश में ग्रुप A स्ट्रेप्टोकोकस (iGAS) डिजीज के केस रिपोर्ट किए गए थे, जिसमें STSS के केस भी थे.
डब्ल्यूएचओ ने उस वक्त बताया था कि कोविड-19 के प्रतिबंधों को हटाने के बाद इस डिजीज के मामले बढ़े थे. अभी तक भारत में इस बीमारी का कोई मामला सामने नहीं आया है. एक्सपर्ट्स की मानें तो देश में इस बैक्टीरिया का खतरा फिलहाल नहीं है, लेकिन इसे लेकर एहतियात बरतनी चाहिए.