देहरादून: राजधानी दून में डेवलपमेंट के नाम पर लगातार पेड़ों का कटान किया जा रहा है। यहां बाग-बगीचों का नष्ट करके प्लॉटिंग, आवासीय सोसाइटी, शॉपिंग मॉल और बहुमंजिला इमारतें खड़ी हो रही है। दून में पिछले 23 साल से चल रहे अनियंत्रित विकास कार्यों का इफेक्ट धीरे-धीरे सामने आ रहा है।
बांदल नदी इसका ताजा उदाहरण है। इस नदी से दून को रोजाना 20 मिलियन लीटर प्रति दिन (एमएलडी) पानी की आपूर्ति होती थी, जो लेकिन आजकल घटकर 5 एमएलडी रह गया है। दूसरे स्रोतों के सूखने का क्रम भी जारी है। अंडरग्राउंड वाटर लेवल भी कम होता जा रह है। ऐसे में जल संस्थान भूगर्भीय वैज्ञानिकों की मदद से स्रोतों के डिस्चार्ज बढ़ाने की तकनीक तलाशी जाएगी।
बांदल नदी से पहली बार डिस्चार्ज 15 एमएलडी कम हुआ है। नदी से जल संस्थान के वाटर वक्र्स में रोजाना करीब 20 एमएलडी पानी आता था, जो आजकल 5 एमएलडी तक पहुंच गया है। बांदल नदी के सूखने से जल संस्थान मंथन में जुट गया है।
बांदल नहीं का पानी एकाएक सूखने से भारी जल संकट खड़ा हो गया है। राजपुर रोड से मधुबन से लेकर हाथीबड़कला, कालदास रोड, ईसी रोड, ओल्ड सर्वे रोड, घंटाघर, चकराता रोड, पलटन बाजार समेत कई इलाकों में पानी का क्राइसिस शुरू हो गया है।
भीषण गर्मी के बीच जबरदस्त वाटर क्राइसिस लोगों को सताने लगी है। ऐसे में उपभोक्ताओं को पर्याप्त पानी नहीं मिल रहा और अधिकतर इलाकों में पानी न आने व लो प्रेशर की समस्या बनी है। साउथ जोन के अधिशासी अभियंता आशीष भट्ट ने टीम के साथ बांदल नदी किनारे करीब 3 किलोमीटर क्षेत्र का निरीक्षण किया,
लेकिन कहीं भी डिस्चार्ज बढ़ाने के आसार नहीं दिखे। बताया जा रहा है कि जल संस्थान जल्द ही जियोलॉजिस्ट स्पेशलिस्ट लेकर नदी का निरीक्षण कराएगा। उम्मीद जताई जा रही है कि जियोलॉजिस्ट डिस्चार्ज बढ़ाने का नया तरीका बताएंगे।
जल संस्थान साउथ जोन के अधिशासी अभियंता आशीष भट्ट ने बताया कि बांदल नदी से पहली बार स्रोत डिस्चार्ज इतना कम हुआ है। इससे करीब 6 से 7 हजार कंज्यूमर्स आंशिक रूप से प्रभावित है। जहां कंम्प्लेन आ रही है वहां टैंकरों से पानी की आपूर्ति की जा रही है।
केवल बांदल ही नहीं अन्य स्रोतों से भी पानी डिस्चार्ज कम हुआ है। बीजापुर पेयजल योजना मेें भी रोजना 1.5 लाख लीटर पर डे कम पानी आ रहा है। अंडरग्राउंड पानी का लेवल गिरने से कई ट्यूबवेल कम पानी दे रहे हैं, जबकि गर्मी बढऩे के कारण राजधानी में पानी की मांग तेजी से बढ़ी है।
जल संस्थान के कॉल सेंटर में पेयजल संबंधी शिकायतों में भी इजाफा हो रहा है। मई की अपेक्षा जून में 40 से 50 प्रतिशत शिकायतें अधिक आ रही है। रोजाना 200 से अधिक कंप्लेन आ रही हैं। जबकि, मई में सिर्फ 140 से 150 शिकायतें आ रही थी।
विभागीय अफसरों का कहना है कि 90 परसेंट शिकायतों का रोजाना निस्तारण किया जा रहा है। मई में 4,809 शिकायतें आई, जो 10 जून तक बढ़कर 5491 तक पहुंच गई है। इसमें से 4570 शकायतें निस्तारण का दावा किया जा रहा है। सबसे अधिक 1,924 शिकायतें दून से आई है।