ताइपे। ताइवान में इस सप्ताह नए राष्ट्रपति लाई चिंग-ते के पदभार संभालने के बाद से चीनी आक्रमकता बढ़ गई है। चीन ने गुरुवार को ताइवान के आसपास भड़काऊ सैन्य अभ्यास किया। ताइवान के पश्चिमी, उत्तरी व दक्षिणी क्षेत्र की ओर चीन की थल सेना व नौसेना यूनिट ने जेट व मिसाइलों के साथ युद्ध अभ्यास किया।
चीनी सेना का कहना है कि ताइवान के आसपास दो दिवसीय सैन्य अभ्यास का उद्देश्य आजादी की मांग करने वाले अलगाववादियों को दंडित करना है। वहीं, ताइवान के राष्ट्रपति ने चीन की इस हरकत पर टिप्पणी करते हुए कहा कि वह बाहरी चुनौतियों और खतरों के विरुद्ध आजादी और लोकतंत्र की रक्षा करते रहेंगे। लोकतांत्रिक रूप से शासित ताइवान द्वीप को चीन अपना भूगाग मानता है, और धमकी देता है कि वह जब चाहेगा इसे मुख्य भूभाग में मिला लेगा।
उसका कहना है कि पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ताइवान स्ट्रेट और आसपास के द्वीपों की निगरानी के लिए रोज युद्धक विमान और जंगी जहाज भेजती है। इसके जरिये हम ताइवान और उसकी आजादी का समर्थन करने वालों को संदेश भेजते हैं कि ताइवान की रक्षा की जिम्मेदारी चीन की है। ताइवान के रक्षा मंत्री ने कहा चीन की इस अनावश्यक और उकसावे वाली कार्रवाई से तनाव बढ़ेगा। कहा- ताइवान संघर्ष नहीं चाहता है, लेकिन किसी से डरता भी नहीं।
इस बीच, अमेरिका के हिंद-प्रशांत कमांड के डिप्टी कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल स्टेफन स्क्लेंका ने कहा कि चीन की सेना 2023 से ही ताइवान पर हमले का अभ्यास कर रही है। चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग 2027 में हमले की तैयारी कर रहे हैं। सैन्य अभ्यास के जरिये वह ताइवान और उसकी सैन्य मदद करने वाले अमेरिका पर भी दबाव बनाने का प्रयास कर रहे हैं।
इससे पहले, सोमवार को ताइवान के राष्ट्रपति के रूप में कार्यभार संभालने के बाद अपने संबोधन में लाई चिंग-ते ने चीन को अपनी सेना को रोकने की चेतावनी दी थी। कहा था कि चीन के आगे हम न तो झुकेंगे और न ही उकसावे की कार्रवाई करेंगे। लाई ने ताइवान की मौजूदा स्थिति के साथ चीन के साथ संवाद की मांग करते हुए संघर्ष से बचने की अपील की थी। ताइवान के राष्ट्रपति के बयान से चीन चिढ़ गया है।