फूलों की घाटी में बिखरा है प्रकृति का अनमोल खजाना

देहरादून। उत्तराखंड के सीमांत चमोली जिले में विश्व धरोहर फूलों की घाटी के अलावा भी एक और फूलों की घाटी मौजूद है। जोशीमठ से 28 किमी दूर 13 हजार फीट की ऊंचाई पर सोना शिखर के पास पांच वर्ग किमी क्षेत्र में फैली इस घाटी की पहचान ‘चेनाप’ नाम से है। यह घाटी विश्व प्रसिद्ध हिमक्रीड़ा स्थल औली के ठीक सामने हिमाच्छादित चोटियों की तलहटी में स्थित है। जून से लेकर अक्टूबर तक यहां लगभग 315 प्रजाति के दुर्लभ हिमालयी फूल खिलते हैं।

भले ही इस घाटी के बारे में देश-दुनिया के लोगों को ज्यादा जानकारी न हो, लेकिन बंगाल के पर्यटकों का यह पसंदीदा ट्रेक है। सुविधाएं न होने के बावजूद बंगाल के पर्यटक हर वर्ष बड़ी तादाद में घाटी के दीदार को पहुंचते हैं। सो, इस बार आप बदरीनाथ व भविष्य बदरी धाम की यात्रा अथवा फूलों की घाटी या औली की सैर पर आ रहे हैं तो ‘चेनाप घाटी’ भी आपके स्वागत को तैयार है।

चेनाप घाटी के लिए जोशीमठ से दो रास्ते जाते हैं। एक रास्ते से चेनाप घाटी जाकर दूसरे से वापस लौटा जा सकता है। एक रास्ता थैंग गांव के घिवाणी तोक और दूसरा मेलारी टाप से होकर जाता है। मेलारी टाप से हिमालय की मनमोहक चोटियों का नजारा देखते ही बनता है।

इसके अलावा बदरीनाथ हाईवे पर बेनाकुली से खीरों व माकपाटा होते हुए भी चेनाप घाटी पहुंचा जा सकता है। यह 40 किमी लंबा ट्रेक है, जो खासतौर पर बंगाली पर्यटकों की पसंद माना जाता है। वर्ष 2013 की आपदा में जब फूलों की घाटी जाने वाला मार्ग ध्वस्त हो गया तो प्रकृति प्रेमी यहां पहुंचने लगे। इसके बाद ही लोगों का इस घाटी से परिचय हुआ।

चमोली जिले के युवा ट्रेकर संजय चौहान के अनुसार चेनाप घाटी का खास आकर्षण हैं, यहां प्राकृतिक रूप से बनी डेढ़ से ढाई किमी लंबी मेड़ और क्यारियां। ब्रह्मकमल की क्यारियों को देखकर तो लगता है जैसे किसी कुशल शिल्पी ने इन्हें करीने से सजाया हो।लोक मान्यता है कि आंछरी (परी) यहां फूलों की खेती करती हैं। इसके अलावा यहां दुर्लभ प्रजाति के वन्य जीव और औषधीय जड़ी-बूटियों का भी समृद्ध भंडार मौजूद है।

वैसे तो चेनाप घाटी की सुंदरता सालभर निखरी रहती है, लेकिन जुलाई से सितंबर के मध्य तो यहां का नजारा देखते ही बनता है। लगभग सभी प्रजाति के फूल खिल उठते हैं, जिससे पूरी घाटी सम्मोहन बिखेरती सी प्रतीत होती है। सितंबर के बाद धीरे-धीरे फूल सूखने लगते हैं, लेकिन हरियाली का आकर्षण कायम रहता है।

चेनाप घाटी के लिए मुख्य रास्ता जोशीमठ शहर से 10 किमी नीचे विष्णु प्रयाग से होकर जाता है। यह तीन दिन का ट्रेक है। पहले दिन विष्णु प्रयाग से करीब आठ किमी की दूरी तय कर थैंग गांव और दूसरे दिन यहां से छह किमी दूर धार खरक गांव पहुंचा जाता है। यहां से चार किमी की दूरी पर चेनाप घाटी है। यह दूरी तीसरे दिन तय होती है। हालांकि, अब थैंग तक सड़क बन जाने से ट्रेक काफी आसान हो गया है।

चनाण हल: चेनाप बुग्याल में मौजूद फूलों की प्राकृतिक क्यारी को ‘चनाण हल’ नाम से जाना जाता है। कहते हैं कि हर साल देवी नंदा के धर्म भाई लाटू देवता यहां हल चलाकर क्यारी तैयार करते हैं।चेनाप बुग्याल के बायीं ओर एक विशाल कुंड है, जो अब दलदल का रूप ले चुका है। इस कुंड को लाटू कुंड के नाम से जाना जाता है। चेनाप बुग्याल के ठीक सामने काला डांग (ब्लैक स्टोन) नामक चोटी से निकलने वाले विशाल झरने को जाखभूत धारा नाम से जाना जाता है।

चेनाप बुग्याल के बायीं ओर ब्रह्मकमल की एक विशाल क्यारी है, जो जुलाई से सितंबर तक हरी-भरी रहती है। इसे मस्क्वास्याणी नाम दिया गया है। चेनाप बुग्याल से 400 मीटर दूर 130 डिग्री की ढलान पर जड़ी-बूटी व फूलों की एक विशाल क्यारी है। इसे ग्रामीण फुलाना बुग्याल नाम से जानते हैं। चेनाप बुग्याल के ठीक सामने एक विशाल काले पत्थर की चोटी है, जो सितंबर तक हिमाच्छादित रहती है। काली होने के कारण यह चोटी बेहद आकर्षक नजर आती है।

 

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