मिस्र :मिस्र में. पुरातत्वविद गीजा के पिरामिड के पास एक कब्रिस्तान का सर्वे कर रहे थे. तभी जमीन के अंदर उन्हें एक ‘सीक्रेट दरवाजा’ नजर आया, जिसे देखकर वे चौंक गए. छानबीन की तो 4500 साल पुराना राज खुलकर सामने आ गया. ऐसा अब तक कहीं नहीं देखा गया है. गीजा के पिरामिड का इससे खास नाता बताया जा रहा है.
डेली मेल की रिपोर्ट के मुताबिक, पुरातत्वविदों की एक टीम गीज़ा के पश्चिमी कब्रिस्तान पर रडार के जरिये सर्वे कर रही थी. तभी उन्हें एल आकार का एक रहस्यमयी स्ट्रक्चर नजर आया. इसमें एक प्रवेश द्वार भी था, जो अंदर की ओर जा रहा था. यह देखकर साइंटिस्ट चौंके, क्योंकि यहां इस तरह का स्ट्रक्चर कभी नहीं देखा था. छानबीन में पता चला कि यह एक कब्र हो सकती है, जिसका निर्माण करीब 4500 साल पहले किया गया था. नील नदी के पश्चिमी छोर पर स्थित इस जगह को काफी दिनों से संरक्षित करके रखा गया है.
जिस जगह पर ये अंडरग्राउंड स्ट्रक्चर मिला है, वहां गीजा का पिरामिड बनाने वालों की कब्रगाह है. इसी कब्रगाह में पिरामिड का निर्माण करवाने वाले राजा खुफू, उनके परिवार और उनके अधिकारियोंं की भी कब्र है. इसलिए पुरातत्वविद मान रहे हैं कि रेत के नीचे मिला यह स्ट्रक्चर एक विशिष्ट कब्र हो सकती है. यह संरचना जमीन से 6 फीट नीचे हैं. साइंटिस्ट का मानना है कि शायद इसे जानबूझकर बनाया गया था, ताकि लगभग 30 फीट नीचे बने कक्ष के प्रवेश द्वार को बंद किया जा सके.
शोधकर्ताओं के मुताबिक, स्कैनिंंग मशीन से जांच करने पर पता चला कि दूसरी संरचना 32 फीट लंबी और लगभग 49 फीट चौड़ी है. यह रेत और बजरी के मिश्रण से बनी हुई है. यह संरचना एक मस्तबा भी हो सकती है. मस्तबा एक भूमिगत आयताकार मकबरा होता है, जिसकी छत सपाट होती है और आमतौर पर चूना पत्थर या मिट्टी की ईंटों से बनी होती है. रिसर्च टीम के प्रमुख मोटोयुकी सातो ने लाइव साइंस को बताया कि ये संरचनाएं नेचुरल नहीं हैं. इनका आकार काफी बड़ा है.