नई दिल्ली। पश्चिमी विक्षोभ के असर से अभी राजधानी में गर्मी से राहत का दौर बना रहेगा। इस पूरे सप्ताह ही अधिकतम तापमान 35 डिग्री से ऊपर जाने की संभावना नहीं है। मौसम विभाग की मानें तो जल्द एक और पश्चिमी विक्षोभ हिमालयी क्षेत्रों पर दस्तक देने वाला है।इसका असर उत्तर पश्चिमी भारत के मैदानी इलाकों पर भी नजर आएगा। मौसम विभाग ने दिल्ली में दो दिन और आंधी और वर्षा का अलर्ट जारी किया है।
मौसम विभाग का अनुमान है कि इस पूरे सप्ताह मौसम की कोई न कोई गतिविधि लगातार होती रहेगी। इससे अधिकतम तापमान में तेजी से इजाफा नहीं होगा। अगले तीन दिनों के बीच हवा की रफ्तार 25 से 40 किलोमीटर प्रति घंटे तक की रहने की संभावना है तो उसके बाद दो दिन बीच-बीच में हल्की वर्षा होने के आसार हैं।
इसके चलते आमतौर पर अधिकतम तापमान 35 से 37 डिग्री सेल्सियस के बीच बना रहेगा।मौसम विभाग ने 19 और 20 अप्रैल को दिल्ली में तेज हवाओं के साथ हल्की वर्षा की चेतावनी जारी की है। इस दौरान हवा की रफ्तार 30 से 40 किमी प्रति घंटा होगी।
मौसम विज्ञानियों के मुताबिक, राष्ट्रीय राजधानी के यह बदलाव पश्चिमी विक्षोभ की दस्तक देने के कारण होगा। वहीं, हवा में प्रदूषक कणों की मात्रा बढ़ने से सोमवार को दिल्ली का एक्यूआई 204 यानी ”खराब” श्रेणी में रहा। हवा की गति बढ़ने के चलते अगले दो दिनों में इसमें सुधार आने की संभावना है।
इस बीच सोमवार को भी सुबह से ही बादल छाए रहे। दिन में थोड़ी बहुत देर के लिए धूप निकली भी तो कुछ ही देर में बादल छाने लगे। इस दौरान कहीं-कहीं हल्की वर्षा भी हुई। अधिकतम तापमान 35.2 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया जो कि सामान्य से एक डिग्री कम है। जबकि न्यूनतम तापमान सामान्य स्तर पर 21.6 डिग्री सेल्सियस रहा। हवा में नमी का स्तर 75 से 45 प्रतिशत तक रहा।
मौसम विभाग ने इस साल देश भर में मानसून की वर्षा सामान्य से बेहतर रहने का पूर्वानुमान जारी किया है। जागरण से बातचीत में मौसम विभाग के महानिदेशक डॉ. मृत्यंजय महापात्रा ने बताया कि दिल्ली के लिए अलग से कुछ नहीं कहा जा सकता। लेकिन उत्तर पश्चिमी भारत में जम्मू कश्मीर, लद्दाख तथा हिमाचल प्रदेश के आसपास वाले क्षेत्रों को छोड़कर सभी जगह अच्छी वर्षा होने का अनुमान है।
इनमें दिल्ली, हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश भी शामिल हैं। मानसून की दस्तक कब तक होगी, इसका अनुमान 15 मई को जारी किया जाएगा। मालूम हो कि बीते साल जून और जुलाई माह में जहां सामान्य से अधिक वर्षा हुई थी वहीं अगस्त व सितंबर में सामान्य से कम रह गई थी। समग्र रूप से मानसून के इन चार माह में सामान्य 640.3 मिमी वर्षा के बनिस्पत 660.8 मिमी वर्षा दर्ज की गई थी।