नई दिल्ली: इतिहास अपनी पहचान को नकार दे इसकी गुंजाइश न के बराबर होती है लेकिन अरबी कहलाने का दावा क्यों और किस आधार पर किया जाता है, यह इतिहास में ढूंढे नहीं मिलता। इसके बाद भी अरब जगत है, अरब राष्ट्रवाद और अरबीकरण वाले शुद्ध इस्लाम का दावा मजबूत है। इस अरब राष्ट्रवाद का केंद्र है सऊदी अरब। सऊदी अरब मध्य पूर्व का सबसे बड़ा अरब देश है।
इसकी सीमा उत्तर और उत्तरपूर्व में जॉर्डन और इराक, पूर्व में कुवैत, कतर, बहरीन और संयुक्त अरब अमीरात, दक्षिणपूर्व में ओमान और दक्षिण में यमन से लगती है। ये देश इस्लाम की परंपराओं को लेकर बेहद कट्टर माने जाते हैं और इसका स्याह चेहरा महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों और उत्पीड़न के रूप में खौफनाक तरीके से सामने आता है।
सऊदी अरब के पास मुसलमानों के दो सबसे पवित्र स्थल मक्का और मदीना हैं। लिहाजा यह ख़ुद को मुस्लिम दुनिया के नेता के रूप में देखता है। सऊदी अरब के लिए सबसे बड़ी चुनौती यह है कि उसे अपनी धार्मिक पहचान को बनाएं रखना है। इस धार्मिक पहचान के साथ सऊदी अरब में साम्राज्य और तेल की अकूत संपत्ति की सुरक्षा के लिए सुन्नी राष्ट्रवाद को उभारा गया और आक्रामक भी बना दिया गया।
इसका परिणाम यह हुआ की इस्लाम की आक्रामकता ने दुनिया की राजनीति और सुरक्षा के मापदंडों को ही बदल दिया। इन सबके बीच दुनिया बदली, तेल के विकल्प तलाशे गए और सऊदी साम्राज्य के कमजोर होने का खतरा मंडराने लगा। रेगिस्तान मे एक खानाबदोश जनजाति बद्दू रहा करती थी जो बेहद असभ्य और आक्रामक मानी जाती थी। यह लोग हमेशा खुद को आज़ाद मानते रहे हैं। करीब सौ साल पहले इब्ने सऊद ने अरबों को अपनी पारंपरिक जीवनशैली बदलने का आदेश दिया।
इब्ने सऊद ने बद्दू जनजातियों के आपसी झगड़े, हमले और लूटपाट पर पाबंदी लगा दी। 18 सितंबर 1932 को इब्ने सऊद ने एक शाही फरमान जारी कर हेजाज़ और सऊद को एक देश घोषित कर दिया। साल 1938 में पहली बार तेल का उत्पादन शुरू हुआ। उसके बाद से ही सऊदी अरब का चेहरा बदलने लगा। इससे शाही खानदान अरब में बेहद मजबूत हो गया।
पिछले तीन दशकों में दुनिया का परिदृश्य तेजी से बदला है और ऊर्जा के विभिन्न स्रोत भी तलाश लिए गए है। एक बार फिर शाही खानदान को अपनी बादशाहत कायम रखने की चुनौती महसूस हुई। लिहाजा सऊदी सरकार ने साल 1990 के दशक में निजीकरण को प्रोत्साहित करने, विदेशी व्यापार को उदार बनाने और निवेश व्यवस्थाओं में सुधार के लिए संरचनात्मक सुधार उपाय शुरू किए।
तेल पर से निर्भरता कम करने के लिए क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने एक महत्वाकांक्षी केन्द्रीकृत विकास योजना विजन 2030 शुरू की है। इसके माध्यम से सऊदी अरब ने देश में पर्यटन, आवास, रक्षा, व्यापार तथा निवेश जैसे क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करना प्रारम्भ किया है जिससे आर्थिक राजस्व के स्रोतों का विविधीकरण किया जा सके।
तेल के सबसे बड़े निर्यातक और इस्लाम धर्म के लिए सबसे पवित्र समझे जाने वाले सऊदी अरब में दुनिया की अर्थव्यवस्था, भूराजनीति, ऊर्जा और सुरक्षा को प्रभावित करने की कई क्षमताएं मौजूद है। किसी दौर में धार्मिक कट्टरता को लेकर पूरी दुनिया में पहचाने जाने वाला सऊदी अरब बदलाव की राह पर है। महिलाएं अकेली यात्रा कर सकती हैं, कार चला सकती हैं। अब यहां सिनेमा हॉल भी खुल रहे है और चेहरा ढंकने की सख्ती को भी शिथिल कर दिया गया है।
महिला शिक्षा को लेकर सऊदी अरब में उदारता देखी जा रही है। राजा को मंत्रिपरिषद द्वारा सहायता प्रदान की जाती है जिसे वह नियुक्त करता है। अब सऊदी अरब की सबसे प्रतिष्ठित परामर्शदात्री शूरा परिषद में 30 महिलाओं को सदस्य बनाया गया है और नगरपालिका चुनाव में महिलाओं को पहली बार वोट देने और उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ने का अधिकार भी दे दिया गया।
सऊदी अरब आधुनिक जगत में अपनी पहचान बनाएं रखने के लिए प्रतिबद्धता से आगे बढ़ रहा है। सऊदी अरब की 27 वर्षीय रूमी अलकाहतानी 17 सितम्बर को मेक्सिको में होने जा रही मिस यूनिवर्स प्रतियोगिता में हिस्सा ले रही हैं।
ये पहली बार है जब सऊदी अरब की कोई महिला मिस यूनिवर्स प्रतियोगिता में भागीदार बनेगी। रूमी अलकाहतानी ने सऊदी अरब का झंडा पकड़े अपनी तस्वीर शेयर की है। इस्लामिक दुनिया में यह अभूतपूर्व है और बेहद साहसिक कदम भी। रूमी अलकाहतानी की भागीदारी बिना सऊदी शाही परिवार की हामी के तय होना मुमकिन नहीं था।
अपने राजनीतिक और आर्थिक हितों का संवर्धन करने के लिए दुनिया को कभी सुन्नी कट्टरवाद की आग मे जलाने वाले सऊदी अरब ने बदलते दौर के साथ हमकदम होते हुए अपने देश के अस्तित्व को बचाएं रखने के लिए आधुनिकीकारण और महिलाओं के प्रति उदारता को अपना लिया है। जिहादियों को आर्थिक समर्थन देने वाले सऊदी अरब ने इससे यह भी संदेश दिया है कि परंपराओं के नाम पर राष्ट्र को मिटा देना कोरी मूर्खता है।
उम्मीद है सुन्नी आधुनिकीकरण की इस जरूरत का अन्य इस्लामिक देश खुले मन से स्वागत करेंगे। यह इस्लामिक दुनिया की करोड़ों महिलाओं के लिए बेहद सुकून देने और आजाद जीवन की उम्मीद जगाने वाली घटना है। वहीं सुन्नी आधुनिकरण की यह शुरुआत दुनिया में अमन चैन कायम कर सकती है और दुनियाभर में फैले सुन्नी कट्टरवादी संगठन पस्त पड़ सकते हैं।