बीजिंग: चीन की कम्युनिस्ट पार्टी 1980 के दशक में बनाई अपनी ही वन चाइल्ड पॉलिसी के नामोनिशान मिटाने में जुटी है। दशकों तक वहां लोगों को एक ही बच्चा पैदा करने के लिए मजबूर किया गया। दीवारों पर स्लोगन और जमकर एक बच्चा पैदा करने के लिए प्रचार किया गया। सख्त नियम बनाए गए। अब उन्हें मिटाया जा रहा है।
चीन वन चाइल्ड पॉलिसी से टू चाइल्ड पॉलिसी और अब थ्री चाइल्ड पॉलिसी की तरफ बढ़ रहा है। यानी अब लोगों को 3 बच्चे पैदा करने के लिए कहा जा रहा है।2020 और 2024 की वुहान में परिवार नियोजन से जुड़ी कलाकृति देखिए, इसमें 2020 में सिर्फ एक बच्चे की कलाकृति अब इसमें 2 बच्चों को जोड़ दिया गया है…
2023 में चीन की आबादी लगातार दूसरी बार कम हुई है। पिछले साल चीन के नेशनल बर्थ रेट में रिकॉर्ड गिरावट दर्ज की गई। चीन में साल 2023 में 90 लाख बच्चे पैदा हुए, जबकि साल 2022 में वहां 95 लाख बच्चे पैदा हुए थे।
नेशनल ब्यूरो स्टेटिस्टिक्स के मुताबिक चीन में साल 2022 में बर्थ रेट 6.67% था, जो साल 2023 में घटकर 5.7% रह गया। इसका मतलब यह हुआ कि चीन में जहां साल 2022 में कुल हजार लोगों पर 6.67 बच्चों को जन्म होता था वो 2023 में घटकर 6.39 रह गया।
चीन में माओ के शासन में वहां की जनसंख्या 54 करोड़ से बढ़कर 94 करोड़ तक पहुंच गई थी। ऐसे में चीन की कम्युनिस्ट पार्टी ने जनसंख्या नीति में बदलाव करने का फैसला किया। 1978 में सरकार ने एक प्रस्ताव पास किया। इसके तहत लोगों को एक बच्चा पैदा करने की बात के लिए कहा गया। चीन में बड़े स्तर पर कैंपेन चलाए गए।
1979 में वन-चाइल्ड पॉलिसी को लागू कर दी गई। इसे बढ़ावा देने के लिए अलग-अलग तरह के कदम उठाए गए। सिचुआन प्रांत में ऐसे कपल्स को अधिक राशन दिया जाता था, जो एक ही बच्चा पैदा करने की शपथ ले चुके हो। 1979 में जिनके पास बच्चा था, वैसे कपल्स को ‘सर्टिफिकेट ऑफ ऑनर’ दिया गया।
1982 में चीन ने इसे अपने संविधान में शामिल कर लिया। बर्थ कंट्रोल हर चीनी नागरिक की जिम्मेदारी कर दी गई। इसके बाद वन चाइल्ड पॉलिसी को आक्रामक होकर लागू किया गया। वन-चाइल्ड पॉलिसी का असर ये हुआ कि जिन कपल्स को लड़की होती थी, वे या तो उसे मार देते या कहीं दूर छोड़ आते। कई बच्चियों को देह व्यापार में धकेल दिया गया. इसके अलावा, चीन के सेक्स रेशियो में भी भयानक असमानता आई।
अगर किसी कपल के एक से ज्यादा बच्चा होता सरकारी उन पर जुर्माना लगाती। जो जुर्माना नहीं दे पातेअधिकारी ऐसे बच्चों को अपने साथ ले जाते थे। एक से अधिक बच्चे पैदा करने पर नौकरी छीन ली जाती थी। कई मामलों में जेल भी भेज दिया जाता था। जबरन गर्भपता और नसबंदी की व्यवस्था तो आम थी।