ऋषिकेश। ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना पर देश की सबसे लंबी दो रेल सुरंगों का निर्माण भी हो रहा है। यह दो सुरंग देवप्रयाग और जनासू के बीच बन रही हैं, जिनके निर्माण में टनल बोरिंग मशीन (टीबीएम) का प्रयोग हो रहा है। जबकि, परियोजना की शेष सभी सुरंग निर्माण ड्रिल एंड ब्लास्ट तकनीक से बन रही हैं।
परियोजना की सबसे लंबी इन दो सुरंगों का निर्माण भी द्रुत गति से हो रहा है। अभी तक इन दोनों सुरंगों पर क्रमश: 40.21 और 53 प्रतिशत खोदाई का कार्य किया जा चुका है। अनुमान है कि दोनों सुरंगों का निर्माण तय समय से पूर्व अक्टूबर व नवंबर 2024 तक हो जाएगा।
कर्णप्रयाग रेल परियोजना के निर्माण में जितनी चुनौतियां हैं, उससे अधिक रोचकता जुड़ी हुई है। ऋषिकेश से कर्णप्रयाग तक 125 किमी लंबी ब्राडगेज रेल लाइन 17 सुरंगों से करीब 104 किमी का सफर तय करेगी। इनमें सिर्फ तीन सुरंग ही ऐसी हैं, जिनकी लंबाई तीन किमी से कम हैं। 12 सुरंगों की लंबाई तीन किमी से अधिक है।
नियमानुसार तीन किमी से लंबी सभी सुरंगों के समानांतर एक-एक निकास सुरंग का निर्माण भी किया जा रहा है। मुख्य सुरंग व निकास सुरंग 375 मीटर की दूरी पर एक-दूसरे से क्रास पैसेज के माध्यम से जोड़ी गई हैं। इस परियोजना पर देश की सबसे लंबी रेल सुरंगों का निर्माण भी हो रहा है।
देवप्रयाग से जनासू के बीच कुल 14.57 किमी लंबी इन दोनों (डबल ट्यूब) सुरंगों का इस्तेमाल गाड़ियों के आवागमन के लिए किया जाएगा। विशेष यह कि इस क्षेत्र में भूगर्भीय संरचना अन्य स्थानों की अपेक्षा पूरी तरह अलग है, इसलिए इन दोनों सुरंगों की खोदाई के लिए जर्मनी से टीबीएम मशीन मंगाई गई हैं। इन सुरंगों की प्रगति की बात करें तो अब भी ट्यूब-1 से 7.811 किमी और ट्यूब-2 में 5.860 किमी खोदाई का कार्य पूरा हो चुका है।
दोनों सुरंगों के निर्माण के लिए जनासू से करीब 1.525 किमी की दूरी पर एक कुआंनुमा सुरंग (वर्टिकल शाफ्ट) का निर्माण किया गया है। इससे इन दोनों सुरंगों में जनासू की ओर से भी खोदाई का कार्य जारी है।
रेल विकास निगम के मुख्य परियोजना प्रबंधक अजीत कुमार यादव ने बताया कि दोनों सुरंगों की खोदाई का कार्य तय समय से पहले ही पूरा कर लिया जाएगा। यानी ट्यूब-1 की खोदाई 12 अक्टूबर और ट्यूब-2 की खोदाई छह नवंबर तक पूरी हो जाएगी।
परियोजना पर ढालवाला से शिवपुरी के बीच बन रही पहली रेल सुरंग की खोदाई सबसे चुनौतीपूर्ण साबित हुई। आरवीएनएल के अनुसार 10.850 किमी लंबी इस सुरंग में मजबूत चट्टानों की जगह, मिट्टी की परत मिलीं, जो सुरंगों की खोदाई के अनुकूल नहीं होती हैं। इनमें खोदाई के साथ धंसने का खतरा बना रहता है।
लेकिन, इस चुनौतीपूर्ण सुरंग के निर्माण में आरवीएनएल ने जिस गति से खोदाई में सफलता हासिल की, वह विश्व कीर्तिमान बनने जा रहा है।मुख्य परियोजना प्रबंधक अजीत कुमार यादव ने बताया कि इस उपलब्धि पर आरवीएनएल एक प्रकाशन भी अंतरराष्ट्रीय जनरल में प्रकाशन के लिए तैयार कर रहा है।
रेल परियोजना पर बन रही सभी तरह की सुरंगों में अलग-अलग मुहानों से खोदाई का कार्य हो रहा है। इन सभी सुरंगों को 46 स्थानों पर आर-पार होना है। अभी तक 13 स्थानों पर सुरंग आर-पार हो चुकी हैं। इनमें मुख्य सुरंग सात और निकास सुरंग छह स्थानों पर आर-पार हुई हैं।