युवा की अनोखी पहल ने बुद्धिजीवियों को किया मजबूर
राजधानी के बसंत विहार क्षेत्र में खुला मौलियार बुक कैफे
उत्तराखंड के युवा वर्ग को कर रहा है कैफे खास आकर्षित
संतोष बेंजवाल
देहरादून। गूगल युग में सभी के हाथों में सचल दूरभाष यंत्र (मोबाइल) है और हर दूसरा रील बनाने और सेल्फी लेने में मस्त है। इससे लोगों के मन पर भी विपरित प्रभाव पड़ रहा है। खासकर बच्चों और युवा वर्ग इस सचल दूरभाष यंत्र के जाल में इतना फंस चुका है कि वह खुद को भूल चुका है और अपने आने वाले भविष्य की ओर देखना ही भूल गया है। यह आने वाली पीढ़ी के लिए खतरे का संकेत है। अघोषित फेसबुक और बाट्सएप यूनिवर्सिटी के सभी प्रोफेसर बनकर आधा-अधूरा ज्ञान बॉटकर दूनिया को भटकाने के साथ-साथ खुद भी भटक रहे है। यह बात सरकार भी जानती है कि इससे देश में कई बार अशांति जैसे हालात पैदा हो चुके है, लेकिन सरकार इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रही है।
बच्चों और युवा पीढ़ी के सचल दूरभाष यंत्र के जाल में फंसने और भविष्य की चिंता प्रबुधजन, राजनेता, सामाजिक सरोकारों से जुड़े लोग,गुरूजन और माता-पिता को होनी लाजमी है। लेकिन इस दिशा में कोई नहीं सोच रहा है। उदय दिनमान आपको एक युवा की अनोखी पहल के बारे में बता रहा है, जिसकी सोच ने बुद्धिजीवियों को गूगल युग के इस में अनोखी पहल की सराहना करने पर मजबूर कर दिया है।
हम बात कर रहे है देहरादून के बसंत विहार क्षेत्र स्थित मौलियार बुक कैफे की और इसका विचार और इसे धरातल पर उतारने वाली विदूषी भट्ट की। इस युवती की पहल आज देहरादून ही नहीं अघोषित फेसबुक और बाट्सएप यूनिवर्सिटी पर खूब हो रही है। यही नहीं सोशल मीडिया के सभी प्लेटफार्म पर विदूषी के इस अनोखे प्रयास की चर्चा हो रही है।
बता दें कि राजधानी देहरादून के बसंत विहार क्षेत्र में विदूषी भट्ट ने मौलियार बुक कैफे खोलकर बच्चों, युवाओं और बुद्धिजीवियों की सोच को एक नया आयाम दिया है। मौलियार बुक कैफे के शुभारंभ से लेकर अब तक यहां प्रतिदिन लोगों को तांता लग रहा है। लगे क्यों भी नहीं एक नई सोच और नई पहल को देखने और मोबाइल से छुटकारा पाने की चाहत रखने वालों के लिए यह एक अनोखा उपहार मिल गया है। इस बुक कैफे में आपको चाय,काफी, खाने के साथ-साथ विश्व स्तरीय किताबें भी पढ़ने को मिल रही है। इसके साथ ही मोबाइल से भी दूरी बन रही है। मौलियार बुक कैफे की ओर बच्चों और युवाओं का रूझान दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है।
मौलिया बुक कैफे की ऑनर विदूषी भट्ट ने उदय दिनमान को बताया कि पहले यह कल्चर यूरोपियन देशों में था और आज के समय में दूनिया के कई देशों में बुक कैफे है। उन्होंने बताया कि जिस प्रकार से देश में सभी लोग मोबाइल के दीवाने होकर सिर्फ आधे-अधूरे ज्ञान से खुद को जानकार मान रहे है यह किसी बडे़ खतरे का संकेत उन्हें सिविल सेवा की तैयार के दौरान लगा। इसी कारण उन्होंने यह कांसेप्ट लांच करने का मन बनाया।
उन्होंने बताया कि वर्तमान में मौलियार बुक कैफे में काफी के साथ-साथ वह लोगों के लिए विश्व स्तरीय किताबें भी उपलब्ध करवा रही है और जल्द ही भारतीय भोजन और पहाड़ी भोजन की व्यवस्था उपलब्ध करवाएगी। इससे जहां बच्चों को खाने के साथ-साथ किताबों से ज्ञान बटोरने को मिलेगा वहीं बच्चों की मोबाइल से भी दोस्ती कम हो जाएगी। वही युवा वर्ग को एक ही स्थान पर ज्ञान अर्जित करने और भोजन भी आसानी से उपलब्ध हो जाएगा।