देहरादून :इन्फ्लुएंजा ए के मरीजों में स्वाइन फ्लू के सब टाइप की पुष्टि हुई है। अब तक एच1एन1 सब टाइप के मरीज पॉजिटिव आ रहे थे अब एच3एन2 के मरीज भी सामने आए हैं। यह इन्फ्लुएंजा ए का सब टाइप है जो स्वाइन फ्लू को प्रेजेंट करते हैं और महामारी बनने की क्षमता रखते हैं।
अभी इस सब टाइप के मरीज मिलने की संख्या कम है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग की ओर से इनकी रिपोर्ट जारी नहीं की जा रही है। दून अस्पताल में एक बुजुर्ग में एच3एन2 सब टाइप मिला है। हालांकि इस साल का यह पहला केस नहीं है इससे पहले भी एच3एन2 के मरीज पॉजिटिव आ चुके हैं। स्वाइन फ्लू या एच1एन1 खासतौर पर इन्फ्लुएंजा ए वायरस के कारण होता है।
ये वायरस सुअर, पक्षी और इंसानों के जरिये फैलता है। पहले मरीज की इन्फ्लुएंजा ए की जांच की जाती है। इन्फ्लुएंजा ए की रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर मरीज में अन्य सब टाइप की जांच होती है। जिले में एच1एन1 मरीज के साथ ही अन्य सब टाइप के भी पॉजिटिव मरीज आने लगे हैं।
एच1एन1, एच1एन2, एच2एन1, एच3एन1, एच3एन2 और एच2एन3 भी इन्फ्लुएंजा ए के सब टाइप हैं। यह सभी महामारी बन सकते हैं। इंसान और सुअर के संपर्क में लंबे समय तक रहने पर इस वायरस के म्यूटेंट होने की संभावना ज्यादा बढ़ जाती है। ऐसे में यह एक महामारी का रूप ले सकते हैं।
यह एक संक्रामक रोग है इसलिए इसका संक्रमण मरीज के संपर्क में आने से फैलता है। यह संपर्क कई तरीकों से हो सकता है जैसे, संक्रमित व्यक्ति की छींक के समय निकले संक्रमित द्रव की बूंदों के संपर्क में आने से, संक्रमित व्यक्ति के खांसने से निकली हवा के संपर्क में आने से और यदि संक्रमित व्यक्ति छींकने या खांसने के समय अपने हाथ को लगाता है और फिर इसी हाथ से किसी अन्य व्यक्ति से हाथ मिलाता है।
दून अस्पताल के बाल रोग विशेषज्ञ मेजर डॉ. गौरव मुखीजा ने बताया कि इन्फ्लुएंजा ए और बी एक कॉमन कोल्ड की तरह है। हर साल सर्दी में इन्फ्लुएंजा ए और बी सामने आता है। मरीजों में इन्फ्लुएंजा ए की जांच जरूर की जाती है ताकि मरीजों में इन्फ्लुएंजा के सब टाइप का पता कर मरीजों को स्वाइन फ्लू से बचाया जा सके।
विशेषज्ञों के मुताबिक अप्रैल 2009 में एच1एन1 वेरिएंट की खोज हुई थी। इस नए स्ट्रेन ने दुनिया भर में लाखों लोगों को संक्रमित किया था। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक एच1एन1 महामारी 2010 में खत्म हो गई थी। इसके बाद 2015 में एक बार फिर एच1एन1 की दस्तक हुई।
इस दौरान भी कई मरीजों की मौत हुई थीं। लोग अभी भी एच1एन1 से संक्रमित होकर इसे फैला सकते हैं। यह बीमारी, अस्पताल में भर्ती होने और यहां तक कि मौत का कारण भी बन सकती है।