देहरादून:देहरादून-दिल्ली एक्सप्रेसवे के उत्तराखंड की तरफ वाले 3.60 किमी हिस्से का निर्माण कार्य मार्च 2024 तक पूरा हो जाएगा। इसके अलावा पूरी परियोजना का काम सितंबर 2024 तक पूरा होने की उम्मीद है। इसके साथ ही नई सड़क पर ट्रैफिक दौड़ेगा, तो पुरानी सड़क को वन्यजीवों के विचरण के लिए छोड़ दिया जाएगा। पुरानी सड़क को लोगों की आवाजाही के लिए पूरी तरह से बंद कर दिया जाएगा।
एफआरआई में हुई सुप्रीम कोर्ट की ओवरसाइट कमेटी की बैठक में सदस्य की ओर से यह विचार सामने आया, जिसे सर्वसम्मति से पास कर दिया गया। इसके तहत पुरानी सड़क पर ईको रेस्टोरेशन के तहत काम किया जाएगा। जहां मानव आवाजाही शून्य होगी और वन्यजीव स्वच्छंद तरीके से आवाजाही कर सकेेंगे।
इसके तहत यहां हरियाली बढ़ाने के लिए चाल-खाल, गड्ढों का निर्माण, कैचमेंट डैम इत्यादि का निर्माण किया जाएगा, ताकि इसे पूरी तरह से वन की शक्ल दी जा सके। कमेटी के सदस्यों के इस सुझाव को पारित कर दिया गया, लेकिन अभी अंतिम मुहर लगना बाकी है। बैठक में करीब-करीब सभी आपत्तियों का निस्तारण कर लिया गया है।
अब परियोजना के अपने तय समय पर पूरा होने की उम्मीद है। परियोजना के लिहाज से महत्वपूर्ण इस बैठक में केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के अधिकारियों के साथी कमेटी के सदस्य, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड वन विभाग के अधिकारी भी मौजूद रहे।
पुरानी सड़क को पूरी तरह से वन क्षेत्र में बदलने के लिए एनएचएआई की ओर से डीएफओ देहरादून और सहारनपुर को जिम्मेदारी सौंपी गई है। एनएचएआई के परियोजना निदेशक पंकज मौर्य ने बताया, इस काम के लिए 36 करोड़ 52 लाख रुपये के बजट का प्रावधान किया गया है।
सुप्रीम कोर्ट की ओवरसाइट कमेटी की ओर से क्षेत्र में लगने वाले मोबाइल टावर की भी जानकारी ली गई। इस पर एनएचएआई के अफसरों ने बताया कि पूरे क्षेत्र हर 500 मीटर की दूरी पर एक मोबाइल टावर लगाया जाएगा। इसके बाद यहां मोबाइल कनेक्टिविटी की कोई समस्या नहीं रहेगी।
परियोजना की लागत 11,970 करोड़ के लगभग है। इसे न्यूनतम 100 किमी प्रति घंटे की गति के हिसाब से डिजाइन किया गया है। वर्तमान में देहरादून से दिल्ली की दूरी 235 किमी है, जो कॉरिडोर के बनने के बाद घटकर 213 किमी रह जाएगी। दिल्ली-सहारनपुर-देहरादून आर्थिक गलियारे के निर्माण से इस क्षेत्र की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा। दून-दिल्ली का सफर मात्र ढाई से तीन घंटे में पूरा हो सकेगा।