नई दिल्ली: चीन की लोन डिप्लोमेसी हमेशा से विवादों में रही है। छोटे देशों को पहले इंफ्रास्टक्चर के नाम पर लोन बांटना और फिर उसपर धौंस दिखाना चीन की पुरानी चाल रही है। चीन के सरकारी बैंक, जितना अपने यहां लोन नहीं बांटते, उससे ज्यादा कर्ज वो दूसरे देशों को दे रहे हैं।
चीन की जिनपिंग सरकार की विदेश नीतियां कर्ज को लेकर विवादों में रही है, लेकिन ये ड्रैगन की दादागिरी ही है कि विवाद के बावजूद वो छोटे देशों को लोन के जाल में फंसाता रहा है । भारत के पड़ोसी देश पाकिस्तान, श्रीलंका, बांग्लादेश भी चीन के कर्ज के जाल में फंसा हुआ है। लेकिन अब चीन की लोन डिप्लोमेसी उसके लिए गले की फांस बनता जा रहा है।
चीन ने जो लोन छोटे देशों को फंसाने के लिए बांटे अब वो फंस गया है। चीन ने जिन छोटे और गरीब देशों को लोन बांटे, उनमें से 80 फीसदी देश ऐसे हैं, जो लोन चुकाने की हालात में नहीं है। ऐसे में चीन का फंसा लोन उसके लिए मुसीबत बनता जा रहा है। सवाल यह है कि आखिर चीन इन पैसों की वसूली कैसे करेगा?
चीन दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी इकॉनमी है। सस्ते लेबर और आधुनिक तकनीक के दम पर यह दुनिया की फैक्ट्री बना बैठा है। चीन की आक्रमक विस्तार नीति अब उसके लिए मुसीबत बन गई है। चीन पहले इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट के नाम पर छोटे और गरीब देशों को कर्ज देता है और फिर उस देश को एक तरह से कब्जा कर लेता है। चीन की यह ‘डेट-ट्रैप डिप्लोमेसी’ अब उसके गले की फांस बन गई है। अपनी आक्रमक विस्तार नीतियों, अपनी महत्वकांक्षाओं के लिए चीन पानी की तरह पैसे का इस्तेमाल करता रहा है।
चीन गरीब और छोटे देशों को सशर्त लोन बांटता रहा है। लोन के साथ ऐसी शर्तें होती हैं, जो उसे ही फायदा पहुंचाए। लोन के लिए दिए गए शर्तों में एक शर्त यह भी होता है कि अगर तय समय पर कर्ज वापस नहीं किया गया तो वो देश अपने कुछ अधिकार चीन को देगा। इसी शर्त के तहत चीन ने श्रीलंका से उसका हम्बनटोटा पोर्ट छीन लिया।
सिर्फ श्रीलंका ही नहीं कई देश चीन की इस चाल का शिकार बन चुके हैं। इसी तरह से पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह के लिए भी चीन ने यही चाल चली। पाकिस्तान चीन का कर्ज नहीं लौटा सका, जिसके बाद ग्वादर पोर्ट को 40 साल के लिए चीन की कंपनी को लीज पर सौंप दिया गया। इस बंदरगाह से चीन तो फायदा हो रहा है।
अमेरिका की रिसर्च एजेंसी एडडाटा की रिपोर्ट के मुताबिक चीन ने जिस देशों को कर्ज दिया है, उनमें से 80 प्रतिशत देश आर्थिक तंगी से गुजर रहे हैं। वो देश आर्थिक मुश्किलों में घिरे हैं। रिपोर्ट के मुताबिक चीन के बांटे गए लोन में से बकाया कर्ज 1100 अरब डॉलर है। हालांकि रिपोर्ट में इस बात का खुलासा नहीं हुआ है कि आखिर कितने देशों ने लोन नहीं चुकाया है। चीन की ओर से बांटे गए लोन का बकाया भुगतान बढ़ता ही जा रहा है।
चीन ने लोन के भुगतान में देरी पर ब्याज दर को 3 प्रतिशत से बढ़ाकर 8.7 प्रतिशत कर दिया है। कर्ज का बकाया बढ़ रहा, ब्याज बढ़ रहा, लेकिन सबसे बड़ी समस्या यह है कि चीन का फंसा पैसा वापस कैसे आएगा ? चीन का पैसा फंस चुका है। अब सवाल यह है कि वो इन कर्ज की वसूली कैसे करेगा? पैसा कैसे वसूल पाएगा? चीन की आर्थिक सेहत पहले से मुश्किल हैं, ऊपर से फंसा हुआ कर्ज चीन की मुश्किल को बढ़ा रहा है।
चीन की इकॉनमी मुश्किल दौर से गुजर रही है। चीन का निर्यात घटता जा रहा है। मांग में कमी और घटते निर्यात ने चीन की मुश्किल को बढ़ा गिया है। चीन ऐसे भंवर में फंस गया है, जो चीन की इकॉनमी को खोखला करता जा रहा है। कोविड के कारण लॉकडाउन के सख्त नियम ने चीन की अर्थव्यवस्था पर गहरा चोट किया है। चीन में वस्तुओं की कीमतें घट रही हैं। चीनी पैसा खर्च करने की स्थिति में नहीं है।
जुलाई से ही चीन डिफ्लेशन के दौर से गुजर रहा है। चीनी इकॉनमी चुनौतियों से गुजर रहा है। स्थानीय सरकारों का भारी-भरकम कर्ज, रिकॉर्ड लो बर्थ रेट, डूबता रियल एस्टेट मार्केट और चरम पर पहुंचा बेरोजगारी दर चीन के लिए सिरदर्द बना हुआ है। चीन में लोकल गवर्नमेंट ने भारी-भरकम कर्ज ले रखा है। यह कर्ज अब बड़ी मुसीबत बनता जा रहा है।