देहरादून। उत्तरकाशी में यमुनोत्री राजमार्ग पर निर्माणाधीन सिलक्यारा सुरंग में भूस्खलन के मामले में एक बड़ा अपडेट आता दिख रहा है। एक प्रमुख वैज्ञानिक एजेंसी के विज्ञानी ने सेटेलाइट के विश्लेषण से यह बात कही है कि सिलक्यारा क्षेत्र में भूधंसाव नजर आ रहा है।
हालांकि, उन्होंने इस दिशा में विस्तृत अध्ययन कराने की बात भी कही है। तभी आधिकारिक रूप से कुछ कहा जा सकता है। सिलक्यारा सुरंग में भूस्खलन की घटना को लेकर यह बात तो साफ हो चुकी है कि इस क्षेत्र की चट्टानें कमजोर प्रकृति की हैं। साथ ही भूस्खलन वाली पहाड़ी पर पानी के रीचार्ज जोन होने की बात भी सामने आई है। इन तमाम कारणों से ही भूस्खलन हुआ है।
वहीं, एक वरिष्ठ विज्ञानी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि सेटेलाइट में सिलक्यारा क्षेत्र में भूधंसाव नजर आना असमान्य है। उन्होंने कहा कि सिर्फ सेटेलाइट अध्ययन को ही अंतिम सत्य नहीं माना जा सकता है। इसकी पुष्टि के लिए धरातल पर भी विस्तृत जांच की जरूरत है।
हालांकि, उन्होंने कहा कि अध्ययन कर लौटी विशेषज्ञ समिति ने सुरंग की पहाड़ी के ऊपरी भाग पर कुछ भी असमान्य नहीं पाया है। ऐसे में सेटेलाइट में भूधंसाव नजर आना असमान्य है। जब तक सेटेलाइट तस्वीरों के मुताबिक धरातल पर अध्ययन नहीं कर लिया जाता, तब तक आधिकारिक रूप से किसी भी बात को पुष्ट नहीं किया जा सकता है।
शासन की ओर से गठित विशेषज्ञ दल के सभी सदस्य अपने-अपने आकलन के मुताबिक रिपोर्ट तैयार करने में जुट गए हैं। इसके बाद एक संयुक्त रिपोर्ट तैयार की जाएगी। जिसमें सिलक्यारा सुरंग में भूस्खलन व भविष्य की स्थिति को लेकर स्पष्ट राय कायम की जाएगी।
विशेषज्ञ समिति के अध्यक्ष व उत्तराखंड भूस्खलन एवं न्यूनीकरण प्रबंधन समिति के निदेशक डा शांतनु सरकार के अनुसार, दल के सभी सदस्यों से आंकड़े व अध्ययन की जानकारी एकत्रित की जा रही है। इस काम में कुछ दिन का समय लग जाएगा। रिपोर्ट तैयार किए जाने के बाद सरकार को रिपोर्ट सौंपी जाएगी।