देहरादून। संतान के सुखी जीवन के लिए सूर्यदेव व छठी मैया की आराधना का चार दिवसीय महापर्व छठ आज से नहाय खाय के साथ शुरू होगा। कल खरना, रविवार को संध्या अर्घ्य, जबकि 20 को प्रात:अर्घ्य दिया जाएगा। इसके लिए विभिन्न क्षेत्रों में छठ घाटों की सफाई की गई। वहीं, बाजार में पूजा सामग्री के लिए देर शाम तक भीड़ उमड़ी रही।
कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को छठ पूजा की जाती है। बिहार, झारखंड व उत्तर प्रदेश में इस पूजा का काफी महत्व है। देहरादून की बात करें तो यहां बिहार के लोग इस पर्व को खासा उल्लास के साथ मनाते हैं।
चार दिवसीय पर्व की पूर्व संध्या पर गुरुवार को सहारनपुर चौक, झंडा बाजार, हनुमान चौक, प्रेमनगर में महिलाएं दऊरा (बांस की टोकरी), बांस का सूप, डाला, कच्ची हल्दी, अदरक, जंगली बेर, सिंघाड़ा, चकोतरा, गन्ना, लौकी, नारियल आदि खरीदारी करती नजर आईं। जिन्होंने खरीदारी नहीं की वह लोग आज खरीदारी करेंगे।
इस पर्व को लेकर पूर्वा सांस्कृतिक मंच (18 घाट) व बिहारी महासभा के (चार घाट) के सेवादारों ने हरबंशवाला, केसरवाला, टपकेश्वर, पथरी बाग, मालदेवता, चंद्रमनी, प्रेमनगर, पंडितवाड़ी, मद्रासी कालोनी, दीपनगर समेत स्थित घाटों पर सफाई की गई।
सुरंग में श्रमिकों की सलामती को घाटों पर डीजे व होर्डिंग पर प्रतिबंध उत्तरकाशी के सिलक्यारा में कई दिनों से सुरंग में फंसे श्रमिकों की सलामती व उनके प्रति चिंता संवेदना जताने के लिए पूर्वा सांस्कृतिक मंच के छठ घाटों पर डीजे व होर्डिंग वर्जित रहेगा। मंच के संस्थापक महासचिव सुभाष झा ने बताया कि नहाय खाय में छठ व्रतियों से सुरंग में फंसे श्रमिकों की सलामती के लिए छठी मैया से प्रार्थना करने का आह्वान भी किया है।
नहाय-खाय की सुबह यानी सोमवार को बिहारी महासभा से जुड़े लोग टपकेश्वर, चंद्रमनी, प्रेमनगर और मालदेवता स्थित घाटों की सफाई करेंगे। महासभा के अध्यक्ष ललन सिंह व महासचिव चंदन कुमार झा ने बताया कि घाटों की सफाई व पूजा के लिए स्थान बनाए जाएंगे।
आज नहाय-खाय के बाद व्रत रख घाटों की सफाई व पूजा होगी। शनिवार को खरना वाले दिन निर्जला व्रत रख शाम को खीर का प्रसाद के साथ व्रत खोला जाएगा। रविवार को विभिन्न घाटों पर अस्ताचलगामी यानी ढलते सूर्य को जल अर्पित कर अर्घ्य दिया जाएगा, जबकि सोमवार को उदीयमान यानी उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ यह महापर्व संपन्न होगा।
नहाय खाय में अरवा (कच्चा) चावल, लौकी की सब्जी, अरहर की दाल को शुभ माना जाता है। ऐसे में बाजार में सामान्य दिनों के मुकाबले लौकी मांग अधिक रही। जिससे लोग ने कई दुकानदारों से डेढ से दोगुने दाम पर लौकी खरीदी। वहीं, पूर्वा सांस्कृतिक मंच के कार्यकर्ताओं ने विभिन्न क्षेत्रों में जरूरतमंदों को लौकी, चावल व व्रत का भोजन पहुंचाया।
आराघर चौक स्थित हनुमान मंदिर के पंडित विष्णु प्रसाद भट्ट के अनुसार, छठी मैया को सूर्यदेव की बहन माना जाता है। इसलिए पति, संतान, घर में सुख शांति के लिए छठ पूजा के दौरान सूर्य की उपासना की जाती है। मान्यतानुसार, सूर्य की पूजा करने से छठी मैया प्रसन्न होती है। इसमें दो से तीन दिन का निर्जला व्रत रखा जाता है।
बिहारी महासभा ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से 20 नवंबर को सार्वजनिक अवकाश की मांग की। महासभा के सचिव चंदन कुमार झा ने बताया कि इस संबंध में मुख्यमंत्री को पत्र भेजा गया है। उम्मीद है कि इस दिन अवकाश होने से व्रतियों को मदद मिलेगी।
छठ पूजा आयोजन समिति की ओर से ब्रह्मपुरी छठ पार्क में 19 नवंबर को छठ पूजा का भव्य आयोजन होगा। घाट को सजाने के लिए छठ पार्क में कुंड, नहर की सफाई को अंतिम रूप दिया जा रहा है। समिति के संरक्षक व पार्षद सतीश कश्यप ने बताया कि पूर्वांचल से लोक कलाकार रंगारंग प्रस्तुति पेश करेंगे।
अतिथि के रूप में महापौर सुनील उनियाल गामा, धर्मपुर विधायक विनोद चमोली, राज्य मंत्री अजीत चौधरी, भाजपा महानगर अध्यक्ष सिद्धार्थ अग्रवाल शिरकत करेंगे। ब्रह्मपुरी छठ पार्क को केंद्र की अमृत योजना से 80 लाख रुपये की लागत से कुंड व नहर को बनाकर तैयार किया गया है। जिसमें सूर्य मंदिर भी बनाया गया है। लोगों की आस्था के केंद्र छठ पार्क में बहुत ही भव्य छठ पूजा होती है। इस मौके पर समिति के अध्यक्ष विजय महतो, हरीकिशोर, कौशलेंद्र सिंह, सौरव, सतेंद्र कुमार, संजीत, सुरेश, विपिन आदि मौजूद रहे।