नैनीताल। हाई कोर्ट ने उद्यान विभाग उत्तराखंड में करोड़ों के घोटाले की केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) जांच के आदेश पारित किए हैं। सेवानिवृत्त होने से पहले मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति विपिन सांघी व न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने यह महत्वपूर्ण आदेश पारित किया है।
इस मामले में सुनवाई पूरी कर निर्णय सुरक्षित रखा गया था। खंडपीठ ने मामले में टिप्पणी करते हुए कहा कि यह एक खेदजनक स्थिति है। यहां राजनीतिक नेतृत्व सुधारात्मक व उपचारात्मक कदम उठाने के लिए उत्सुक दिखता है लेकिन नौकरशाही अपने पैर पीछे खींचती नजर आती है।
खंडपीठ ने 45 पेज के आदेश में कहा है कि इस गंभीर मामले को जांच के लिए सीबीआई को सौंपा जाना चाहिए। आपराधिक साजिश और राज्य के खजाने में धन के लेनदेन के प्रभाव का पता लगाने के लिए यह जांच जरूरी है। उम्मीद जताई कि तीन माह के भीतर जांच पूरी कर सीबीआई मामले को तार्किक निष्कर्ष तक ले जाएगी।
हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को समस्त मूल रिकार्ड के साथ ही जांच के दौरान मांगे जाने वाले दस्तावेज मुहैया कराने के निर्देश दिए हैं। स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) की ओर से जुटाई गई समस्त दस्तावेजों के साथ ही तैयार रिपोर्ट भी जांच एजेंसी को सौंपी जाएगी।
अल्मोड़ा निवासी दीपक करगेती, गोपाल उप्रेती व अन्य ने जनहित याचिका दाखिल कर उद्यान विभाग में घोटाले का आरोप लगाया था। याचिकाओं में कहा गया है कि उद्यान विभाग में करोड़ों का घोटाला किया गया है। फलदार पौधों की खरीद में गड़बड़ियां की गई है। विभाग ने एक ही दिन में वर्कआर्डर जारी कर उसी दिन जम्मू कश्मीर से पौधे लाना दिखाया है। जिसका भुगतान भी कर दिया गया है। पूरे मामले में वित्तीय व अन्य गड़बड़ी की सीबीआइ या फिर किसी निष्पक्ष एजेंसी से जांच कराई जाए।
इधर सुनवाई के दौरान ही सरकार ने उद्यान निदेशक एचएस बावेजा को भी निलंबित कर दिया था। याचिका में बावेजा पर आरोप था कि एक नकली नर्सरी अनिका ट्रेडर्स को पूरे राज्य में करोड़ों की पौध खरीद का कार्य देकर बड़े घोटाले को अंजाम दिया गया। जब उत्तरकाशी के किसानों ने इस घपले को जोरशोर से उठाया तो अनिका ट्रेडर्स के आवंटन को रद्द करने का पत्र जारी कर दिया गया। मगर फिर भी पौधे अनिका ट्रेडर्स के ही बांटे गए।
मुख्य उद्यान अधिकारी के साथ मिलकर निदेशक ने एक फर्जी आवंटन जम्मू कश्मीर की नर्सरी बरकत एग्रो फार्म को कर दिया। बरकत एग्रो को इनवाइस बिल आने से पहले ही भुगतान कर दिया गया। यही नहीं बिना लेखाकार के हस्ताक्षर के ही करोड़ों के बिल ठिकाने लगा दिए गए।
कोर्ट के आदेश से किसानों की जीत हुई है। किसान हित सर्वोपरि मानते हुए हाई कोर्ट ने उद्यान विभाग में हुए भ्रष्टाचार की सीबीआई जांच के आदेश देकर बता दिया है कि घोटालेबाज न्यायालय की आंखों में धूल झोंकने में कामयाब नहीं हो पाएंगे। – दीपक करगेती, याचिकाकर्ता