त्रिपुरा :त्रिपुरा में एक डरावनी रिपोर्ट आई है। रिपोर्ट में बताया गया है कि 828 छात्र एचआईवी पॉजिटिव पाए गए हैं और 47 की मौत हो गई है। त्रिपुरा स्टेट एड्स कंट्रोल सोसाइटी (TSACS) के अनुसार, जो छात्र एचआईवी पॉजिटिव पाए गए हैं, उनमें 572 छात्र अभी जिंदा हैं।
NACO के अनुसार त्रिपुरा में हर साल एड्स के मामले बढ़ रहे हैं। पिछले कई वर्षों से राज्य के विभिन्न एड्स सेंटर में 828 छात्रों का पंजीकरण हुआ था और उन्हें फ्री में एंटी-रेट्रोवायरल उपचार भी दिया जा रहा था। मई 2024 और 2007 में उनमें से 47 का निधन हो गया। 2022-2023 में एचआईवी के 1847 नए केस मिले 67 मौतें हुईं। 2023-2024 वर्ष के दौरान एचआईवी से संबंधित मौत के 44 मामले और 1790 नए केस मिले।
TSACS ने 220 स्कूलों और 24 कॉलेजों और यूनिवर्सिटी के छात्रों की पहचान की है जो इंजेक्शन के जरिए ड्रग्स लेते थे। 220 स्कूलों और 24 कॉलेजों के छात्रों को नशीले पदार्थों की लत पाई गई है।रिपोर्ट में बताया गया है कि ज्यादातर मामलों में बच्चे अमीर परिवारों से ताल्लुक रखते हैं जिनमें एचआईवी पॉजिटिव पाया जाता है। ऐसे परिवार हैं जहां माता-पिता दोनों सरकारी नौकरी में हैं और बच्चों की मांग तुरंत पूरी करते हैं।
एक ही सिरिंज के इस्तेमाल से एचआईवी फैल सकता है। ड्रग लेने वाले ज्यादातर लोग एक ही सिरिंज का इस्तेमाल करते हैं जिससे खून के खून से संपर्क में आने से वायरस तेजी से फैलता है।सुइयों, सीरिंज या अन्य इंजेक्शन उपकरण का इस्तेमाल करने से एचआईवी संचरण की संभावना तेजी से बढ़ जाती है, क्योंकि वायरस शरीर के बाहर खून में जीवित रह सकता है।
एचआईवी होने पर बुखार, थकान, सिरदर्द, गले में खराश, मांसपेशियों में दर्द, और जोड़ों में दर्द, चेहरे और धड़ दाने, दस्त, वजन कम होना, लिम्फ नोड्स में सूजन और एड्स होने पर बार-बार संक्रमण जैसे कि निमोनिया, तपेदिक, असामान्य थकान, रात में पसीना आना, बुखार, मुंह में घाव आदि लक्षण महसूस हो सकते हैं।
एंटीरेट्रोवाइरल थेरेपी (ART) एचआईवी/एड्स के लिए जरूरी उपचार है, जिसमें दवाओं का एक संयोजन होता है जो शरीर में वायरस फैलने की रफ्तार को धीमा करता है। यह थेरेपी एचआईवी का इलाज नहीं करती है लेकिन इसे प्रभावी ढंग से कंट्रोल करती है, जिससे एचआईवी पीड़ित लोग लंबा, स्वस्थ जीवन जी सकते हैं।