नई दिल्ली :मिजोरम से सटे म्यांमार के क्षेत्र में विद्रोहियों और सत्ताधारी जुंटा के बीच संघर्ष तेज होने और विद्रोहियों पर सेना के हवाई हमले के बीच म्यांमार के हजारों नागरिक शरण लेने अंतरराष्ट्रीय सीमा पार कर मिजोरम में घुस आए हैं। घुसपैठ करने वालों में 43 म्यांमारी सैनिक भी थे, जिनमें से 40 को वापस भेज दिया गया। भारतीय खुफिया एजेंसियां घटनाक्रम पर करीबी निगाह रखे हुए हैं।
गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पुष्टि की है कि मिजोरम पुलिस व केंद्रीय खुफिया एजेंसियों के कर्मी घुसपैठ करने वालों की सटीक संख्या का पता लगाने में जुटे हैं। वहीं, मिजोरम पुलिस के आईजी लालबियाकथांगा खियांगते ने दावा किया, करीब 5,000 म्यांमारी नागरिक मिजोरम में घुस आए हैं।
घुसपैठ की ताजा घटनाएं म्यांमार के जुंटा शासन के खिलाफ विद्रोहियों के नए ऑपरेशन 1027 से जुड़ी हैं। जुंटा के खिलाफ सशस्त्र संघर्ष करने वाले विद्रोहियों ने इस ऑपरेशन के तहत भारत से सटी सीमा पर म्यांमारी सेना की दो चौकियों को अपने कब्जे में ले लिया।
विद्रोहियों के एक कमांडर ने बताया, इससे उत्साहित विद्रोहियों ने सरहदी चिन क्षेत्र में कब्जा मजबूत करना शुरू कर दिया है। चिन नेशनल फ्रंट के उपाध्यक्ष सुई खार ने कहा, चिन व रखाइन राज्यों में इस सप्ताह लड़ाई के दो नए मोर्चे खुले, जिससे भारत में घुसपैठ बढ़ गई है।
सोमवार को चिन के रिख्वादर और खावमावी सैन्य शिविरों पर करीब 80 विद्रोहियों ने सुबह 4 बजे हमला बोला और कई घंटे की लड़ाई के बाद उन पर कब्जा कर लिया। जवाब में जुंटा के सैनिक विद्रोहियों के कब्जे वाले इलाकों में टैंकों और लड़ाकू विमानों से बम बरसा रहे हैं। मिजोरम के चंपाई जिले में पहुंचे म्यांमार के कई नागरिक जख्मी हैं।
रखाइन राज्य की राजधानी सित्वे के एक नागरिक ने सोशल मीडिया पर लिखा, संघर्ष छिड़ने के बाद से सड़कों पर टैंक नजर आने लगे हैं। जुंटा ने कर्फ्यू लगा दिया है। लोगों को रात 9 बजे के बाद घरों से निकलने के लिए मना कर दिया है। स्कूल खुले हैं, पर लोग डर से बच्चों को नहीं भेज रहे।
भारत-म्यांमार सीमा की जटिल भौगोलिक स्थिति के कारण घुसपैठ पूरी तरह रोक पाना मुश्किल है। असम राइफल्स के जवान सीमा की सुरक्षा में जुटे हैं, पर करीब 150 किमी लंबी सीमा पर हालात जटिल हैं। म्यांमार की सेना और भारतीय विदेश मंत्रालय ने तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। राज्य के गृह मंत्रालय के अनुसार, म्यांमार के 31,364 नागरिक पहले से मिजोरम के शरणार्थी शिविरों में हैं।
म्यांमार के सैन्य शासक जो जुंटा कहे जाते हैं, 2021 में सशस्त्र तख्तापलट के जरिये सत्ता में आने के बाद पहली बार इतना भीषण प्रतिरोध झेल रहे हैं। पीपुल्स डिफेंस फोर्स (पीडीएफ) समेत तीन नस्लीय अल्पसंख्यक समूहों ने जुंटा के खिलाफ संघर्ष के लिए अक्तूबर में सैन्य चौकियों पर कब्जा शुरू कर दिया।
विद्रोह को इसके शुरू होने की तारीख के आधार पर ‘ऑपरेशन 1027’ नाम दिया गया है। विद्रोहियों ने अकेले शान राज्य में 100 सैन्य चौकियों पर कब्जा कर लिया है। अभी शान, कयाह, रखाइन और चिन जिलों में जुंटा व विद्रोहियों के बीच संघर्ष जारी है। पीडीएफ फिर से निर्वाचित सरकार के जरिये लोकतंत्र स्थापित करना चाहती है।