कोलंबिया :कोलंबिया की सरकार अटलांटिक महासागर में 316 साल पहले डूबे एक जहाज का मलबा निकालने की तैयारी में है। शुक्रवार को इसकी घोषणा की गई। यह स्पेन का जहाज है। इसका नाम सैन होजे है। बताया जाता है कि इस जहाज के मलबे के साथ 1.66 लाख करोड़ रुपए मूल्य का करीब 200 टन खजाना भी दफन है।
मलबा ऊपर लाने से पहले पानी के नीचे खोज (एक्सप्लोरेशन) शुरू की जाएगी। इसके लिए कोलंबियाई नौसेना के जहाज की निगरानी में रोबोट को समुद्र में भेजा जाएगा। यह जहाज की जानकारी जुटाएगा।
रोबोट मलबे का कुछ हिस्सा बाहर भी निकालेगा। फिर मलबे में हुए बदलाव की जांच की जाएगी। इससे तय होगा कि मलबे का कौन-सा हिस्सा बाहर निकाला जाए। AP न्यूज के मुताबिक, जहाज का मलबा समुद्र में 2 हजार फीट की गहराई पर है।
इस रोबोट में कैमरे में भी लगे होंगे, जिससे जहाज से जुड़ा रिकॉर्ड इकट्ठा किया जा सके। वहीं रोबोट को सैटेलाइट से भी कनेक्ट किया जाएगा। इस अभियान पर कोलंबिया सरकार इस साल करीब 37 करोड़ रुपए खर्च करेगी। मिशन 2024 के सेकेंड हाफ में शुरू होगा।
रोबोट को किस क्षेत्र में उतारा जाएगा, इसकी लोकेशन को फिलहाल सीक्रेट रखा गया है। सैन होजे नाम का यह जहाज साल 1708 में किंग फिलिप V के बेड़े का हिस्सा था। स्पेन को जीतने के लिए जंग के दौरान ब्रिटिश नेवी के हमले में यह जहाज डूब गया था। तब इस पर 600 लोग सवार थे, जिनमें से सिर्फ 11 ही जिंदा बच पाए थे।
2015 में कोलंबियाई नेवी के डाइवर्स को जहाज का मलबा मिला था। तब इस खोज को कोलंबिया के राष्ट्रपति जुआन मैनुअल सैंटोस ने मानव इतिहास में मिला सबसे कीमती खजाना बताया था।
सैन होजे जहाज के मलबे को पवित्र कब्र भी कहा जाता है। इस मलबे को लेकर स्पेन, कोलंबिया और बोलीविया के कहारा समुदाय के लोगों में विवाद है। बोलीवियाई समुदाय का दावा है कि उनके लोगों को खजाने के खनन के लिए मजबूर किया गया था। इस वजह से खजाना उनका होना चाहिए।
इसके अलावा ग्लोका मोरा के नाम से पहचाने जाने वाले एक अमेरिकी बचाव संघ ने भी 1981 में जहाज ढूंढने का दावा किया था। ग्लोका मोरा ने बताया कि उसने कोलंबियाई सरकार को इस शर्त पर मलबे की लोकेशन बताई थी कि आधा खजाना संघ के पास रहेगा।
कोलंबिया के राष्ट्रपति गुस्तावो पेट्रो ने कहा था कि उनकी सरकार मलबे को रखने के लिए एक लैब बनाएगी। यहां इसकी स्टडी के बाद इसे नेशनल म्यूजियम में शिफ्ट किया जाएगा। दर्जनों समुद्री जीवों के बीच जहाज के मलबे के साथ सोने के सिक्के, सिल्लियां, ईंटें और चीनी बर्तन नजर आए। इन सबके बीच में डॉल्फिन की छाप वाली गन्स भी थीं, जिसके जरिए मलबे की पहचान की गई थी।
सैन होजे 62-बंदूक, तीन-मस्तूल वाला जहाज था जो 8 जून 1708 को 600 लोगों के साथ डूब गया था। यह उन जहाजों में शामिल था जो 16-18वीं सदी के दौरान यूरोप और अमेरिका के बीच में आता-जाता था। यह जहाज खजाने को अमेरिका से स्पेन लेकर जा रहा था। इस खजाने का इस्तेमाल स्पेन ब्रिटेन के खिलाफ जंग में करने वाला था।
सैन होजे गैलियन 14 जहाजों और तीन स्पेनिश युद्धपोतों के बेड़े को लीड करता हुआ पनामा के पोर्टोबेलो से रवाना हुआ था। तभी उसका सामना एक ब्रिटिश स्क्वाड्रन से हुआ। दरअसल, 8 जून 1708 को रॉयल नेवी के अंग्रेजी कोमोडोर चार्ल्स वेगर ने इस जहाज को बारू के पास कार्टाजेना से 16 मील दूर ट्रैक किया था।
इसके बाद तय किया गया कि जहाज और उसके सारे सामान पर कब्जा कर लिया जाएगा, लेकिन सैन होजे जहाज पर लगीं पाउडर मैगजीन्स में विस्फोट हो गया, जिसकी वजह से जब्त होने से पहले ही जहाज डूब गया। ब्रिटिश सरकार ने स्पेन के बेड़े को खजाना यूरोप नहीं ले जाने दिया था, ताकि वो इसका इस्तेमाल जंग के लिए न कर सके।