चमोली में बर्फ के नीचे 22 मजदूर फंसे

देहरादून: उत्तराखंड में भारत-चीन सीमा से लगे चमोली जिले के अंतिम गांव माणा में ग्लेशियर टूटने से भारी हिमस्खलन हुआ। इस हादसे में बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन (BRO) के कैंप में 57 मजदूर दब गए। उनमें से 32 को सुरक्षित निकाल लिया गया।

भारी बर्फबारी और हिमस्खलन के बीच सेना और इंडो-तिब्बतन बॉर्डर पुलिस (ITBP) बचाव का अभियान चलाया। हालांकि, भारी बर्फबारी के चलते शुक्रवार शाम ITBP ने रेस्क्यू ऑपरेशन बंद कर दिया। बचाव के काम में लगे ITBP जवान माणा गांव में वापस अपने कैंप में लौट गए। सीएम पुष्कर सिंह धामी ने शनिवार को ग्राउंड जीरो पर जाकर स्थिति का जायजा लेने की योजना बनाई गई है।

घटनास्थल पर नेटवर्क की दिक्कत होने के कारण कम्युनिकेशन नहीं हो पा रहा है। माणा में ग्लेशियर हादसे वाली जगह से जो तस्वीर सामने उसमें सेना के जवान अपने कंधों पर ग्लेशियर में दबे मजदूरों को उठाकर ले जाते दिख रहे हैं। सभी फंसे हुए मजदूर एक प्राइवेट प्रोजेक्ट के लिए काम कर रहे थे। देहरादून पुलिस हेडक्वॉर्टर में आईजी निलेश आनंद भरणे ने रेस्क्यू अभियान को लेकर बताया कि घटनास्थल के लिए तीन से चार एंबुलेंस को रवाना किया गया।

लामबगड़ में सड़क खोलने की कोशिश जारी है। दूसरी टीम को सहस्रधारा हेलिपैड पर अलर्ट पर रखा गया है। नैशनल और स्टेट डिजास्टर रिस्पॉन्स फोर्स (SDRF) की टीम को भेजा गया है। SDRF ड्रोन की टीम को भी तैयार रखा गया है। भारी बर्फबारी के कारण फिलहाल ड्रोन ऑपरेशन संभव नहीं हो पाया है।

घटना के बाद फंसे मजदूरों को बचाने के लिए राज्य सरकार भी एक्शन में है। सीएम पुष्कर सिंह धामी हालात की जानकारी लेने के लिए डिजास्टर ऑपरेशन सेंटर पहुंच गए। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी चमोली माणा ग्लेशियर हादसे को लेकर मुख्यमंत्री से जानकारी ली है। ITBP और गढ़वाल स्काउट की टीमें भी मौके पर मौजूद हैं। कर्णप्रयाग के पास ऋषिकेश-बद्रीनाथ हाईवे पहाड़ से मलबा गिरने से बंद हो गया है। लगातार हो रही बारिश के कारण हाईवे बंद है और हाईवे पर जगह-जगह मलबा गिर रहा है।

उत्तराखंड सरकार ने घटना के बाद प्रभावितों के परिजनों की सहायता के लिए हेल्पलाइन नंबर जारी किए। उसमें मोबाइल नंबर 8218867005, 9058441404 और फोन नंबर 0135-2664315 टोल फ्री नंबर 1070 शामिल हैं।

उत्तराखंड के चमोली जिले में हिमस्खलन की घटना नई नहीं है। यहां 7 फरवरी 2021 को भी रैणी में ग्लेशियर टूटने से सैकड़ों लोग काल के गाल में समा गए थे। उस वक्त जोशीमठ के तपोवन इलाके में रैणी गांव के ऊपर ग्लेशियर फटने से ऋषि गंगा और धौलीगंगा नदी में भारी सैलाब आ गया था।

सैलाब से ऋषि गंगा पावर प्रोजेक्ट और तपोवन में एनटीपीसी पावर प्रोजेक्ट तबाह हो गया था। इसके चलते प्रोजेक्ट में काम करने वाले मजदूरों समेत 204 लोगों की जान चली गई थी। नवंबर से लेकर जनवरी तक उत्तराखंड समेत पूरे हिमालयी क्षेत्र में जमकर बर्फबारी होती है। हिमस्खलन की घटना फरवरी से शुरू होती है।

वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान के रिटायर्ड ग्लेशियोलोजिस्ट डॉ. डी. पी. डोभाल का कहना है कि तापमान बढ़ने से बर्फ पीछे खिसकने लगती है इस दौरान बर्फ पिघलने से बर्फ के हिस्से टूटने पर मजबूर हो जाते हैं। इसमें सिर्फ बर्फ ही नहीं, बल्कि मलबा और पत्थर भी टूट कर नीचे की तरफ आ जाते हैं। अगर ग्लेशियर का हिस्सा पानी में गिरता है तो उससे ज्यादा नुकसान हो जाता है।

देहरादून मौसम विज्ञान केंद्र ने दो दिन पहले ही हिमस्खलन की आशंका को लेकर राज्य सरकार को अलर्ट भेजा था। ITBP को भी अलर्ट कर दिया गया था। शनिवार तक इसी तरह से मौसम रहने वाला है। इस तरह की घटना और हो सकती है। ऐसे में रुद्रप्रयाग, चमोली, पिथौरागढ़, उत्तरकाशी जैसे जिलों में सावधानी बरतने की जरूरत है। जहां ग्लेशियर टूटा वहां दो दिनों से जोरदार बर्फबारी और बारिश हो रही थी।

कैंप में हिमस्खलन में दबे लोगों में झारखंड के मजदूर भी शामिल हैं। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, ‘उत्तराखंड के चमोली जिले में BRO के तहत काम करने वाले कई मजदूरों के टूटे हुए ग्लेशियर के नीचे फंसे होने की खबर आई है। मैं उनके सुरक्षित होने की प्रार्थना करता हूं।’ मजदूर चमोली के ऊंचाई वाले सीमावर्ती गांव माणा के पास बर्फ हटाने का काम कर रहे थे। इसी दौरान उनका कैंप हिमस्खलन की चपेट में आ गया।

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